16 May 2020

“We could not live together, no problem.
 But at least
 Must remain united.
 Stay with the family! Stay with good values. “

 It is 5 in the morning and I am ready for meditation. 

 Today meditation will begin at 5:15 pm.  Till then I am walking on the terrace.  Wow !  What a sight  Nature has a unique view.  Which I am able to enjoy.  There is peace all around.  Cuckoo’s chirping is heard.  A melodious music is playing in the ears.  The atmosphere is pure.  Frace is taking the air  The building remains just in front of the house and is clearly visible till Noida.  It does not happen on normal days because there is too much pollution.

 It looks as if I am looking at 3D paintings. 

There is a primary school at home.  Which has lots of trees.  Most are white.  Many peacocks are seated on different branches on the front tree.  Another peacock is sitting on the second tree.  The pigeons are sitting on the peaks of White.  There is another peacock sitting almost on top of the tree which is equal to it.  This view is making me happy.  The cuckoo is not visible, but its sweet voice makes me very happy. 

 It seems as if nature is celebrating the festival and all creatures except humans are playing the role of guest in this festival.  In this festival, nature has called everyone except man.  Now is the time when man has to understand his mistakes and have to apologize to nature.




“हम इकट्ठे होकर ना रह सके, कोई बात नहीं ।
मगर कम से कम
एक होकर जरूर रहना चाहिए।
परिवार के साथ रहे !अच्छे संस्कारों के साथ रहें ।”

सुबह के 5 बजे हैं और मैं ध्यान के लिए तैयार हूं। आज ध्यान 5:15 बजे से शुरू होगा। तब तक मैं छत पर टहल रहा हूं। वाह ! क्या नजारा है । प्रकृति का अनूठा नजारा है । जिसका में आनंद उठा पा रहा हूं । चारों तरफ शांति है । कोयल के चहकने की आवाज सुनाई दे रही है । कानों में एक मधुर संगीत चल रहा है । वातावरण एकदम शुद्ध है। फ्रेस हवा ले रहा हूं । घर के जस्ट सामने बिल्डिंग बनी हुई है और नोएडा तक साफ दिखाई दे रही हैं । आम दिनों में ऐसा नही होता क्योंकि प्रदुषण बहुत ज्यादा होता है ।

ऐसा लग रहा है मानो 3D पेंटिंग्स को देख रहा हूँ। घर के बराबर में प्राइमरी स्कूल है । जिसमें बहुत सारे पेड़ हैं । सबसे ज्यादा सफेदे के हैं । सामने वाले पेड़ पर अलग अलग डालियों पर बहुत से मोर बैठे हैं । दूसरे वाले पेड़ पर एक और मोर बैठा है । सफेदे की चोटियों पर कबूतर बैठे हैं । उसके बराबर में जो पेड़ है, उसकी भी लगभग चोटी पर एक और मोर बैठा है । 




यह नजारा मुझे आनंदित कर रहा है । कोयल दिखाई तो नहीं दे रही लेकिन उसकी मधुर आवाज मुझे बहुत ही आनन्दित कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे कि प्रकृति उत्सव मना रही हो और मनुष्य को छोड़कर सभी जीव जंतु इस उत्सव में मेहमान की भूमिका निभा रहे हों । इस उत्सव में प्रकृति ने मनुष्य को छोड़कर सभी को बुलाया है । अब समय आ गया जब मनुष्य को अपनी गलतियों को समझना होगा और प्रकृति से क्षमा मांगनी पड़ेगी ।



ReplyForward

Leave a Comment