100 की चप्पल, 200 की साडी मोदी जी पर पडी भारी। ” दीदी ओ दीदी “

The Bengal Tigress 

कोरोनावायरस की भयंकर लहर के बीच पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ग्लोबल लीडर बन चुके आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धूल चटा दी।

Bengal Champ 🏆Tigress 

देश और विदेश में सभी जगह चाहे वह सोशल मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यही चर्चा है कि एक साधारण सी दिखने वाली महिला मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को हरा दिया। अगर हम यहां पर यह लिखे कि मोदी जी राष्ट्रीय नेता कम अंतरराष्ट्रीय नेता ज्यादा है तो यह लिखना गलत नहीं होगा। अब क्योंकि पश्चिम बंगाल का चुनाव मोदी बनाम ममता बनर्जी था, तो क्या पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में मिली इतनी बुरी हार के बाद उन्हें प्रधानमन्त्री पद से और बीजेपी के स्टार प्रचारक के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या नहीं ? गौरतलब है कि ममता बनर्जी वर्तमान समय में हिंदुस्तान में इकलौती महिला मुख्यमंत्री है जिसे हराने के लिए टीम मोदी ने पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में अपने 19 मुख्यमंत्री, लगभग 22 केंद्रीय मंत्री, तीन सेंट्रल एजेंसी क्रमश: सीबीआई, ईडी, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया, 10,000 से भी ज्यादा सेना के जवान, बेहिसाब काला धन, गोदी मीडिया और स्वयं ग्लोबल लीडर से आजकल सोशल मीडिया पर ग्लोबल पप्पू का तमगा हासिल कर चुके हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दिन-रात एक कर दी। जब चौकीदार का चौकीदारी करने का असली समय आया और जब देश को उनकी सबसे ज्यादा आवश्यकता थी तो ऐसे मुश्किल समय में कोरोनावायरस जैसी भयंकर माहमारी के बीच देश के लोगों को संकट में छोड़कर, मरता हुआ छोड़कर पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में जा कूदा और अपने पद का सबसे अधिक दुरुपयोग किया। और इतना ही नहीं वह कहावत है ना कि ” हम तो मरेंगे ही सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे “ चौकीदार खुद तो गया ही अपनी सभी टीम को भी साथ ले गया। भाइयों-बहनों जो व्यक्ति संकट के समय अपनों को छोड़कर भाग जाए उस व्यक्ति पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता। यह बात गांठ बांध लो हमेशा के लिए। ममता बनर्जी को चुनाव में हराना, चौकीदार ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया । इससे पता चलता है कि आर एस एस, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की सोच कितनी महिला विरोधी है।
एक तरफ तो ये लोग ” बेटी पढ़ाओ – बेटी बचाओ की बात करते हैं “ महिला सुरक्षा, साक्षरता और महिलाओं के आरक्षण की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ देश की बेटी जो पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो गई और पश्चिम बंगाल जैसे देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में से एक को चला रही है, तो उन्हें यह बात रास नहीं आ रही। चुनाव के दौरान ममता बनर्जी घायल भी हुई जिस वजह से उन्हें व्हीलचेयर पर आना पडा लेकिन यहां पर यह  बात चरितार्थ होती है कि ” जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय “ ममता बनर्जी के व्हीलचेयर पर बैठकर कम चुनाव प्रचार के बावजूद भी बंगाल की जनता ने उन्हें प्रचंड बहुमत दिया। कहने का मतलब साफ है कि टीम मोदी ने एक साधारण सी महिला को हराने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सारे हथकंडे अपनाए, सत्ता का भी जबरदस्त तरीके से दुरुपयोग किया लेकिन ” जिन पर कृपा प्रभु राम करें वे पत्थर भी तिर जाते हैं ” कहने का तात्पर्य है कि ईश्वर की मर्जी के बिना तो एक पत्ता भी नहीं हिलता लेकिन मनुष्य स्वंय को ईश्वर की माया से मोहित होकर रावण की तरह अहंकार से भर लेता है। खुद को खुदा समझ लेता है लेकिन कहते हैं कि ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती लेकिन जब भी पड़ती है तो…..


एक बात हमें अच्छी तरीके से समझनी होगी कि ईश्वर की इच्छा को आप पैसों से और पाॅवर से नहीं बदल सकते क्योंकि यह सब तो उनके द्वारा ही प्रकट की गई माया का हिस्सा है, जिसे पाकर के मनुष्य अहम से भर जाता है। हमें लगता है कि मोदी जी और योगी जी का अहंकार कुछ हद तक जरूर कम हुआ होगा। पश्चिम बंगाल में टीम मोदी को मिली जबरदस्त हार से एक बात तो साफ हो गई कि प्रभु श्री राम के नाम पर इनके द्वारा जो तरह-तरह के नित नए-नए ढोंग, झूठ, प्रपंच, किए जाते है  उनसे प्रभु श्री राम सख्त नाराज हैं। वैसे तो हमने शास्त्रों में, पुराणिक कथाओ में, महाभारत और रामायण मे भी देखा था कि सत्ता की हवस मनुष्य को किस हद तक गिरा सकती है और अब यह बात पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिली। हिंदुस्तान जैसे दुनिया के दूसरे नंबर के सबसे अधिक आबादी वाले देश और क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवां सबसे बड़ा देश होने के बावजूद भी केवल एक ऐसा राज्य है जहां पर महिला मुख्यमंत्री है लेकिन सरकार उसे भी हटा देना चाहती हैं। नरेंद्र मोदी जी और योगी जी आपको उस महिला का सम्मान करना चाहिए था, उस पर गर्व करना चाहिए था, इसके उलट तुमने तो भारतीय कला, संस्कृति, संस्कार,सभ्यता और परंपराओं को ताक पर रखते हुए ” दीदी ओ दीदी “ कह कर उस महिला को खूब अपमानित किया। इससे आपके संस्कार दिखाई पड़ते हैं। इसके लिए बेशक आपको देश से माफी मांगनी चाहिए।


BJP के 19 राज्यों के मुख्यमंत्री/ समस्त केंद्रीय मंत्री/ तमाम स्टार प्रचारक/ गोदी मीडिया/ सरकारी एजेंसियां और स्वयं-भू नरेंद्र मोदी जी के चुनाव मैदान में मौजूद होते हुए भी एक साधारण सी साड़ी और हवाई चप्पल पहनने वाली महिला ने इन्हें मैदान में बुरी तरह धूल चटा दी। ऐसा करने वाली वे देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं जबकि दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल यह कारनामा दो बार कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल में मिली करारी हार से यह स्लोगन एक बार फिर चरितार्थ होता नजर आ रहा है ” एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर…. ” 


BJP की यह कोशिश कुछ ऐसी ही थी जिस प्रकार पहले मुगलों ने और फिर अंग्रेजों ने हिंदुस्तान में भरपूर लूटपाट मचाई जो कि उस समय सोने की चिड़िया कहलाता था। टीम मोदी द्वारा जो कार्य पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान किया गया वह हमें कुछ ऐसा ही महसूस हुआ जैसे कि अंग्रेजों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से सत्ता हथियाने के लिए की थी।

” जीवन के सफर में, जिंदगी के नगर में मुश्किलों का आना तो तय है। अगर आप में लड़ने का हुनर है और भिडने का जिगर है तो मुश्किलों से जीत पाना भी तय हैं “
                 मोहित भाटी एडवोकेट



” कोरोना की पहली लहर में नमस्ते ट्रंप को ले डूबा और दूसरी लहर में बीजेपी को “

बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल कुछ बेहतरीन स्लोगन :-
(1) बंगाल में खैला होबे
(2) दीदी ओ दीदी
(3) जय श्रीराम
(4) 100 की चप्पल, 200 की साडी मोदी जी पर पड़ेगी भारी।


सुबह से ही सोशल मीडिया पर देशवासी तरह तरह से पश्चिम बंगाल के चुनाव को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार है :- 

Now virus free Bengal 


 

व्यक्तिगत विचार :- शुरू से ही मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी जी कोई नेता नहीं है वह तो बस एक इवेंट मैनेजर हैं जिन्हें औद्योगिक घरानों ने संघ की सहायता से अपने फायदे के लिए देश के समक्ष पेश किया था। नरेंद्र मोदी जी को एक मॉडल के रूप में पेश किया और उसमें वे कामयाब भी रहे लेकिन काठ की हंडिया चूल्हे पर सिर्फ एक बार चढ़ती है 

3 thoughts on “100 की चप्पल, 200 की साडी मोदी जी पर पडी भारी। ” दीदी ओ दीदी “”

  1. हिंदुस्तान की जनता की याददाश्त बहुत कमज़ोर है।
    नोटेबन्दी भूल गए।
    GST भूल गए।
    लोकडौन का पलायन भूल गए।
    जब मौका आएगा शायद जनता ये भी भूल जाएंगे।
    मुझे बहुत ही कम आशा है।

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