छत्रसाल स्टेडियम मर्डर केस में दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने पहलवान सुशील कुमार और उसके साथी को 6 दिन के लिए भेजा पुलिस कस्टडी में।

दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने छत्रसाल स्टेडियम मर्डर केस में विवेचना अधिकारी द्वारा दाखिल पुलिस कस्टडी रिमांड प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए Olympian Champion 🏆Wrestler Sushil Kumar  और उसके साथी अजय कुमार का 6 दिन का पुलिस कस्टडी रिमांड स्वीकृत किया है।
पहलवान सुशील कुमार को दिल्ली पुलिस ने पूर्व जूनियर राष्ट्रीय चैंपियन पहलवान सागर धनखड की छत्रसाल स्टेडियम में हुई हत्या के केस में गिरफ्तार किया है।

Special Cell nabbed absconding murder accused Wrestler Sushil Kumar #NoWrestlingWithLaw

Olympian Champion 🏆Wrestler Sushil Kumar 
Ajay Kumar 

ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा ने विवेचना अधिकारी द्वारा दाखिल पुलिस कस्टडी रिमांड प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की जिसमें विवेचना अधिकारी द्वारा पहलवान सुशील कुमार और उसके साथी अजय कुमार का 12 दिनों के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड की मांग की थी। जबकि पुलिस कस्टडी रिमांड प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय द्वारा 6 दिन का रिमांड स्वीकृत किया गया है।


दिल्ली पुलिस की तरफ से एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव माननीय न्यायालय के समक्ष पेश हुए और उनका पक्ष रखा।


एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव द्वारा 12 दिनों के लिए मांगे गए पुलिस कस्टडी रिमांड पर बहस करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ सीसीटीवी फुटेज, घटना में इस्तेमाल किया गया कथित हथियार और मोबाइल फोन पुलिस द्वारा बरामद किए जा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि क्योंकि आरोपी को पूछताछ के उद्देश्य से अन्य राज्यों में भी ले जाना पड़ेगा और कोविड-19 के नियमों का भी पालन करना पड़ेगा जिसके चलते 12 दिनों का पुलिस कस्टडी रिमांड स्वीकृत किया जाना परम आवश्यक है।

पहलवान सुशील कुमार की तरफ से पेश हुई एडवोकेट सात्विक मिश्रा ने अपनी बहस में कहा कि दूसरे अभियुक्तो के खिलाफ पहले से ही नॉन बेलेबल वारंट जारी किए जा चुके हैं जिससे पता चलता है कि पुलिस ने पहले ही सभी अभियुक्तों की पहचान कर ली है। इसलिए पुलिस अन्य अभियुक्तों की पहचान के लिए उसकी हिरासत की मांग नहीं कर सकती। उसे उक्त मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा झूठा फंसाया जा रहा है।

एडवोकेट सात्विक मिश्रा ने माननीय न्यायालय के समक्ष अपनी बहस में कहा कि पुलिस द्वारा सुशील कुमार की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के समय जमा की गई स्टेटस रिपोर्ट में यह दावा किया था कि ऑटोप्सी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि डंडे से हुई पिटाई “ के कारण मस्तिष्क मे चोट पहुँची जिस कारण मृत्यू हो गई। इसे देखते हुए पुलिस न्यायालय के समक्ष अपनी थ्योरी में बदलाव कर रही है क्योंकि डंडा और कार पुलिस ने पहले से ही बरामद कर ली है, जिनका मेरे क्लाइंट सुशील कुमार से कोई लेना देना नहीं है।


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आगे बहस में यह भी कहा गया कि कुछ नए तथ्य पुलिस कस्टडी रिमांड मे दिल्ली पुलिस द्वारा बताए गए है जबकि दिल्ली पुलिस ने सुशील कुमार की एंटीसिपेटरी बैल के वक्त दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट में उनका उल्लेख नहीं किया।

सुशील कुमार की तरफ से माननीय न्यायालय के समक्ष बहस कर रही अधिवक्ता ने यह भी कहा कि प्रॉसीक्यूशन द्वारा इल्जाम लगाया गया है कि सुशील कुमार भगोड़ा है, जोकि गलत आरोप है। वह तो केवल कानून में बचाव हेतु प्रावधान ढूंढ रहा था जोकि उसका मौलिक अधिकार है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।

दिल्ली पुलिस द्वारा सुशील कुमार को रविवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया था और उसके साथी अजय कुमार जोकि छत्रसाल स्टेडियम में फिजिकल एजुकेशन का टीचर है को भी गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली के मुंडका एरिया से गिरफ्तारी दिखाई गई है।


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दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय न्यायालय ने सुशीला अग्रवाल बनाम स्टेट ऑफ दिल्ली 2020 सुप्रीम कोर्ट का अवलोकन करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा ऐसा कोई फार्मूला निर्धारित नहीं किया गया है कि किस मामले में अग्रिम जमानत स्वीकार करनी है और किसमें अस्वीकार।

अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करना या  खारिज करना न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए ही न्यायालय को निर्णय लेना है। प्रत्येक मामले मे अलग-अलग तथ्य और परिस्थिति होती हैं। लेकिन न्यायालय को निर्णय विवेकपूर्ण तरीके से ही लेना है। वर्तमान केस में प्रार्थी/अभियुक्त पर
लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। अब तक की जांच का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि प्रार्थी/अभियुक्त ही मुख्य साजिशकर्ता है और प्रथम सूचना रिपोर्ट कोई विश्वकोश नही है। विवेचना अभी भी जारी है और अभियुक्तगणों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
प्रार्थी/अभियुक्त के खिलाफ गैर जमानती वारंट पहले से ही जारी हो चुके हैं। न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए तथ्यों पर न्यायालय कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है क्योंकि यह अग्रिम जमानत का चरण है और कोई भी टिप्पणी देने से पक्षकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।  चश्मदीद गवाहो के बयान पत्रावली पर दाखिल हैं। कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसलिए इस स्तर पर न्यायालय प्रार्थी/अभियुक्त को अग्रिम जमानत देना सही नहीं समझता । अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। “

जगदीश कुमार
अतिरिक्त विशेष सत्र न्यायाधीश/एफ.टी.सी रोहिणी (नार्थ) दिल्ली


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