How to Complain to police about loud noise due to crackers

 How to Complain to police about loud noise due to crackers (पटाखों से तेज आवाज की शिकायत पुलिस से कैसे करें)


सेवा में,
        श्रीमान पुलिस कमिश्नर महोदय,       
       जनपद गौतम बुध नगर
       (उत्तर प्रदेश)
महोदय,
        सविनय निवेदन यह है कि वार्षिक परीक्षाएं पास आ रही है। जिसके चलते कॉलोनी के ज्यादातर बच्चे कॉलोनी में बनी लाइब्रेरी मे बैठकर देर रात तक पढ़ाई करते हैं लेकिन मेरे आस-पास रहने वाले कुछ शरारती किस्म के लोग रात में अनावश्यक रूप से लोगों को तंग करने के लिए भारी मात्रा में देर रात तक पटाखे जलाते हैं, जिनसे पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 तथा एनजीटी द्वारा तय किए गए मानकों से भी अत्यधिक मात्रा में वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण होता है। परिणामस्वरूप ये असामाजिक तत्व माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन तो करते ही हैं साथ ही साथ हमारी पढ़ाई का भी नुकसान कर रहे हैं जिससे होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति संभव नहीं हो सकेगी। इसलिए न्याय हित में उक्त लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जानी परम आवश्यक है।
अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करने की कृपा करें। हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
धन्यवाद!

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आए दिन दूषित होते जा रहे पर्यावरण को लेकर के माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के द्वारा कई बार चिंता जाहिर की गई है और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए समय-समय पर दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। उसी प्रकार पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण के चलते एनजीटी द्वारा सभी राज्यों की सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पटाखों से या अन्य किसी माध्यम से होने वाले शोर की शिकायत आप पुलिस से या फिर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से शिकायत कर सकते हैं। भारतीय दंड संहिता, 1960 की धारा 209/268 में दंड के प्रावधान दिए गए हैं।
[  ]  Noise Standards for Fire-crackers :- पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के चलते केंद्र सरकार द्वारा इसके कुछ मानक तय किए थे जिन्हें Environment
Protection act,1986 मे (Second Amendment) Rules, 1999 के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया था। पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह पर्यावरण की गुणवत्ता की रक्षा कर सके, सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर सभी स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित कर कम कर सके या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे किसी भी स्त्रोत को प्रतिबंधित कर सके या उसके जब्तीकरण की कार्रवाई कर सके। सुरक्षा मानकों के अनुसार दिन में 85 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए।

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[  ] साइलेंस जोन :- अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, न्यायालय साइलेंस जोन के अंतर्गत आते हैं इनके आसपास 45 डेसिबल से अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण नहीं किया जा सकता। इसका उल्लंघन करने पर आप के खिलाफ कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है। तथा रात 10:00 बजे से लेकर के सुबह 6:00 बजे तक साउंड सिस्टम बजाना गैरकानूनी है।



राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा एक वेबसाइट बनाई गई है। जिसमें ध्वनि प्रदूषण से संबंधित दिशा निर्देश हेल्पलाइन नंबर आदि दिए गए हैं आप वहां पर जाकर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं तथा दर्ज की गई शिकायत पर हुई कार्रवाई की स्थिति भी देख सकते हैं। Complain Status/https://ngms.delhi.gov.in/

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