आज जो कुछ भी पूरी दुनिया ने देखा ऐसा लगता है कि वह सोची समझी चाल थी। जिस तरीके के हालात आजकल देश में चल रहे हैं, जिस तरीके से केंद्र सरकार हठधर्मिता दिखा रही है उस पर तांडव सीरीज में बोला गया एक डायलॉग बिल्कुल सटीक बैठता है ” मैंने अपने राजनीतिक जीवन में कई गलत काम किये लेकिन कभी देश को तोड़ने का काम नहीं किया लेकिन अगर इसके हाथों में सत्ता आ गई तो यह लोकतंत्र को खत्म कर देगा। जरा गौर से देखो इसकी आंखों में क्या तुम्हें तानाशाह नजर नहीं आता “
भारतीय लोकतंत्र में किसी भी प्रकार की हिंसा के लिए जरा सी भी जगह नहीं है और जिन लोगों ने भी आज किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में हिंसा की है चाहे वह किसान हो, उपद्रवी हो या फिर किसान नेता हो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह का परिदृश्य आज 72 वें गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने देखा आखिर इसकी नौबत कैसे आ गई। क्या यह देश केवल तानाशाही, नौकरशाही और हठधर्मिता से चलेगा। क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकतंत्र के लिए कोई स्थान नहीं है। कानून चाहे कोई भी हो वह हमेशा जनता, समाज और देश के हितों को ध्यान में रखते हुए, बनाए जाते हैं और लागू किए जाते हैं। कानून जनता की जरूरतो को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। कानून देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए, देश की रक्षा के लिए बनाए जाते हैं और ऐसे कानूनो का भारतीय लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए जोकि नागरिको को अविश्वास से भर दे,उनमे असुरक्षा की भावना पैदा कर दे। बड़े ही ताज्जुब की बात है कि मोदी सरकार ने उपरोक्त किसी भी बात पर गौर किए बिना तीनों कृषि बिलो को आनन-फानन में लागू किया। यहां पर सवाल यह आता है कि केंद्र सरकार द्वारा बिना किसानों की सहमती के, लोकसभा और राज्यसभा में बगैर चर्चा किए ही इन कानूनों को क्यों पास किया गया! आखिर किसके हितों को ध्यान में रखते हुए? केंद्र सरकार बार-बार यह दावा कर रही है कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं लेकिन जब किसान ही इस बिल से सहमत नहीं है तो ऐसी स्थिति में सरकार इन कृषि कानूनों को जबरन किसानों पर क्यों थोपना चाहती है। जैसे कि मैंने ऊपर कहा कि किसी भी कानून को हमेशा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और जरूरत के हिसाब से बनाया जाता है तो जब इन कृषि कानूनों से देश के अन्नदाता ही असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो फिर केंद्र सरकार किसके हितों को साधने में लगी हुई है।
हालाकि आज नई दिल्ली में किसान आंदोलन के नाम पर जिस प्रकार की हिंसा हुई है उसके लिए राकेश टिकैत जैसे किसान नेता होने का ढोंग भरने वाले लोगों की बड़ी भूमिका होने से इनकार नहीं किया जा सकता। अभी हाल ही में उन्होंने मीडिया में ब्यान देते हुए कहा था कि ” दिल्ली किसानों के ट्रैक्टर रोकने की कोशिश मत करना अगर ऐसी कोशिश किसी ने की तो उसके बक्कल तार दिए जाएगें “
जय जवान जय किसान
खेत में किसान और देश की सीमा पर तैनात जवान का बड़ा ही महत्व। लेकिन आज सरकार की गलत नीतियों, राजनीतिक पार्टियो और कुछ असामाजिक तत्त्वों की वजह से देश के किसान और जवान को आपस में टकराते हुए देखकर आंखें भर आई।
जहां एक तरफ देश का किसान खेती में दिन-रात एक कर देश के लिए अन्न पैदा करता है तो वही दूसरी तरफ सीमा पर तैनात जवान अपना खून बहाकर भी देश की रक्षा करता है। किसान देश के लिए अन्न भी उगाता और अपने बच्चो को पढा लिखाकर, मजबूत बनाकर देश की सेना में भी भेजता है ताकि हिन्दुस्तान सुरक्षित रहे। देश में किसान और जवान का विशेष महत्व है और इसलिए शायद देश के पूर्व प्रधानमन्त्री स्व: श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था।
देश की सुरक्षा व्यवस्था कई दिनों से खबरों में देख रहा था कि 72 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली को अभैध सुरक्षा घेरे में तब्दील कर दिया गया है । जमीन से लेकर हवा तक एनएसजी कमांडो , भारतीय सेना के जवान , एसपीजी के जवान और दिल्ली पुलिस तैनात रहेंगी और देश की सुरक्षा एजेंसियां भी हाई अलर्ट हो गई है लेकिन आज जो कुछ देखने को मिला उससे भारतीय सुरक्षा व्यवस्था की भी कलई खुलती नजर आ रही है। जहां एक तरफ दिल्ली पुलिस किसानों को काबू में करने में नाकाम रही तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उपद्रवियों की मंशा को समझने में पूरी तरह से नाकाम रही। जरा सोचिए अगर कोई विदेशी मेहमान गणतंत्र दिवस के मौके पर आमंत्रित कर दिया जाता तो वह हिंदुस्तान की कैसी तस्वीरें साथ लेकर जाता।
ये देश नहीं झुकने दूँगा
बाला कोट हमले में शहीद हुए जवानो की शहादत का बदला पाकिस्तान में ऐयर स्ट्राइक कर भारतीय सेना के जवानो ने अपने अदम्य साहस और अद्भुत काबिलियत का परिचय देते हुए लिया था। तब देश के प्रधानमन्त्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि ये देश नहीं झुकने दूंगा। तो अब समय आ गया जब मोदी सरकार को अपनी हठधर्मिता छोड़कर देश के अन्नदाताओ की बात मान लेनी चाहिए। क्योंकि आज 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर जो कुछ भी देश की राजधानी में हुआ उससे देश का सर कतई गर्व से ऊँचा नहीं हो सकता।
अहिंसा परमो धर्म आख़िर में मैं अपने किसान भाइयों से यही अपील करूंगा कि अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकती है। देश में कानून तोड़ने और खुलेआम न*** तलवारें लहरा कर हिंसा फैलाने से, दहशत पैदा करने से न तो आप लोगों का भला हो सकता है और ना ही देश का। इस प्रकार के कृत्य कतई बर्दाश्त नही किए जा सकते। कल जिस तरह से लाल किले में पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद जबरन बल प्रयोग कर लोग लाल किले में घुस गए और जहां पर प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री तिरंगा झंडा फहराते हैं उस स्थान पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा किसी धर्म विशेष का झंडा लगा दिया गया। यहां पर हमें यह बात जरूर समझ लेनी चाहिए कि यह देश किसी भी जाति,धर्म और संप्रदाय से ऊपर है । हम रहे या ना रहे इस चीज से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन हिंदुस्तान हमेशा सलामत रहना चाहिए।
कल कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा यह भी अफवाह फैलाई कि दिल्ली पुलिस कि गोली से एक किसान की मौत हो गई है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है दिल्ली पुलिस ने केवल आंसू गैस के गोले चलाए थे न कि किसी किसान पर गोली। कल जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है वह ट्रेक्टर के पलटने से हुई थी जो कि cctv फुटेज से भी साफ पता चल रहा है। दिल्ली पुलिस के जवान भी हमारे ही घरों से निकलकर हमारी और देश की राजधानी की सुरक्षा में लगे हुए हैं उन्हें बिल्कुल भी अपने से अलग ना समझे।
” जय हिंद जय भारत जय श्री राम “