प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई सैफ अली खान की तांडव सीरीज कई दिनों से सुर्खियों में

प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई सैफ अली खान की तांडव सीरीज कई दिनों से सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर खासकर ट्विटर पर इसको बंद करने की बात ट्रेंडिंग में चल रही है। पिछले कुछ सालों में भारतीय सिनेमा इतना गिर गया है कि पहले कभी सोचा भी नहीं होगा।




 एंटरटेनमेंट के नाम पर गाली-गलौज और अश्लीलता परोसी जा रही है। बॉलीवुड में तो पहले से ही अश्लीलता की कमी नहीं थी लेकिन अब नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो,एम.एक्स.प्लेयर, जी-5 और हॉटस्टार जैसे प्लेटफार्म के आने के बाद अब मानो उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो क्योंकि बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं को तो थोड़ा बहुत सेंसर बोर्ड का डर रहता था लेकिन ये सभी प्लेटफार्म सेंसर बोर्ड के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं इसलिए अब ये खुलकर अश्लीलता का नंगा नाच कर सकते हैं और इन्हें पूरी अश्लीलता, असभ्यता, गाली-गलौज और भारतीय संस्कृति को धूल में मिलाने की आजादी मिल चुकी है। अब छोटे-मोटे कलाकार और लेखक भी ऐसी अश्लील सीरीज और फिल्में  नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, जी-5, एम.एक्स.प्लेयर और हॉटस्टार जैसे प्लेटफार्म पर रिलीज कर रातो रात स्टार बन रहे हैं और मोटे पैसे कमा रहे हैं लेकिन देश का युवा किस तरफ जा रहा है, समाज किस तरफ जा रहा है, उनके बनाए गए चलचित्र से समाज पर क्या फर्क पड़ता है इससे उनका कोई लेना देना। वह सिर्फ वही चीज परोस रहे हैं जिससे युवा ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो सके। इन लोगों का सभ्य समाज, भारतीय संस्कृति और सभ्यता से कोई लेना देना नहीं होता। इनके लिए एंटरटेनमेंट के नाम पर केवल अश्लीलता, अश्लीलता और अश्लीलता ही पैसे कमाने का एक मूल मंत्र होती है। और अगर इनसे कोई इस चीज का विरोध करें या भारतीय संस्कृति को बनाए रखने के लिए,उसे बचाने के लिए बात करें तब ये असभ्य और अनपढ लोग आधुनिकता और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत भारतीय नागरिकों को दी गई स्वतंत्रता की बात करने लगते हैं, लेकिन उसी संविधान के अनुच्छेद 51 ए  में दी गई फंडामेंटल ड्यूटीज को भूल जाते हैं। तांडव सीरीज के पहले ही एपिसोड में भगवान विष्णु जी के अनन्य भक्त नारद जी का किरदार निभा रहे और भगवान शिव शंकर जी का किरदार निभा रहे लोगो के बीच कुछ बातचीत दिखाई जाती है जिसमें भगवान श्रीराम जी का मजाक उड़ाया जा रहा है। एक कलाकार द्वारा भगवान शिव का रोल कर रहे कलाकार से कहा जाता है कि आजकल भगवान श्री राम के Followers सोशल मीडिया पर बढ़ते ही जा रहे हैं। हमें लगता है कि आपको भी कोई नई सोशल मीडिया स्ट्रेटेजी बना लेनी चाहिए। इस पर भगवान शिव का किरदार कर रहे व्यक्ति द्वारा कहा जाता है कि तो क्या करूं नया फोटो लगाऊं। उस पर नारद जी का किरदार कर रहे व्यक्ति द्वारा कहा जाता है कि भोलेनाथ आप बहुत ही भोले हैं कुछ नया ट्वीट कीजिए, कुछ सनसनीखेज, कोई भडगता हुआ शोला। और सीन में भगवान शिव  का रोल कर रहे व्यक्ति द्वारा गाली देते हुए दिखाया जाता है। इस सीन को देखकर किसी भी हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। ये लोग बात तो आजादी की करते हैं लेकिन भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भूल जाते हैं। ये लोग बात तो आजादी की करते हैं लेकिन व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता को भूल जाते हैं। भगवान शंकर जी का किरदार कर रहे व्यक्ति का असली नाम मोहम्मद जीशान अय्यूब, सीरीज में मुख्य भूमिका निभा रहे सैफ अली खान और इस सीरीज के निर्माता अली अब्बास जफर तीनो एक ही कम्युनिटी से आते है।इन लोगो को ऐसा लगता है कि हिन्दू धर्म का आसानी से मजाक उडाकर पैसा कमाया जा सकता है। जब इस सीरीज के सामने आने पर सीरीज के डायरेक्टर और कलाकारो पर एफ.आई.आर दर्ज होनी शुरू हुई तब उनकी तरफ से माफी मांगते हुए कहा गया कि यह सीरीज सिर्फ मनोरंजन के लिए बनाई गई है। इससे किसी की भावनाओ को आहत करने  और हिन्दू धर्म का अपमान करने का उनका कोई इरादा नही था। पिछले कुछ समय से इस तरह के प्रकरण आम हो गए है और ऐसा प्रतीत होता है कि इन विशेष संप्रदाय के लोगो द्वारा मनोरंजन के नाम पर हिन्दू धर्म को आसानी से टार्गेट किया जाने लगा है। यह हिंदुस्तान ही है जहाँ एम.एफ.हुसैन जैसे हिन्दू देवी – देवताओ की अभद्र पेन्टिंग बनाने वाले चित्रकार को सम्मानित किया जाता है। वरना फ्रांस में एक चित्रकार ने मोहम्मद पैगंबर साहब का कार्टून बना दिया था जिसके बाद वहां दुसरे धर्म के लोगों पर लगातार जानलेवा हमले शुरू हो गए और दुनियाभर के मुस्लिम देश फ्रांस के विरोध में उतर आए।
तांडव सीरीज के ही एक अन्य सीन में दो पुलिस वालों को जिनकी ड्यूटी किसान आंदोलनकारियों की निगरानी के लिए लगी हुई है,उन्हें शराब पीते हुए एवं गाली-गलौज करते हुए दिखलाया जाता है। इसी दौरान उनके बीच एक नेता के चमचे की गाडी आकर रूकती है जोकि उन पुलिस वालो को दो मुस्लिम समुदाय के किसान आंदोलनकारियों के फर्जी एनकाउंटर की सुपारी देता है और उसके आदेश के अनुपालन में ये दोनों दारोगा योजनाबद्ध तरीके से आंदोलनकारियों को तितर-बितर करके उन दोनो मुस्लिम युवको को घेरकर एनकाउंटर के नाम पर हत्या कर देते है।


अंत में निष्कर्ष इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिस प्रकार से पुलिस वालो को शराब पीते हुए, गाली-गलौज करते हुए व फ़र्जी एनकाउंटर करते हुए दिखाया गया उससे अलग पुलिस की छवि हो और खाली पेपर पर चित्र बनाकर उसमें इस तरह के रंग भरने वाला चित्रकार कोई और नहीं बल्कि स्वंय पुलिस ही है। देश में यूं तो इस तरह के अनगिनत पुलिस के किस्से मिल जाएगें, यह कोई नई बात नही है। फ़र्जी एनकाउंटर पहले से ही होते आए है कभी बड़े नेताओ के इशारे पर तो कभी कानून व्यवस्था को बनाए रखने के नाम पर। लेकिन हमें अपनी भारतीय संस्कृति को बचाए रखने के लिए इस बात पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कि हम भारतीय समाज को,अपने बच्चो किस तरह का सिनेमा दिखाए। एंटरटेनमेंट के नाम पर अश्लील परिदृश्यो को फिल्माया जाना किसी भी प्रकार से समाज हित में नहीं है और ना ही हमारी ऐसी सभ्यता रही है।
सीरीज के बीच बीच में जेएनयू  की तर्ज पर आजादी आजादी के नारे लगाए जाते हैं आखिर और कितनी आजादी चाहिए आपको अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अश्लीलता फैलाने के लिए। आखिर और कितनी आजादी चाहिए आपको भारतीय संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने की,भारतीय समाज को दूषित कर आने वाली भारतीय पीढ़ियों को पथभ्रष्ट करने की। अब समय आ गया है जब भारतीय समाज और हमारी सरकारों को ऐसे समाज द्रोहीयों और देशद्रोहियों के खिलाफ सख्त से सख्त नियम कायदे – कानून बनाकर कार्रवाई करने की ताकि ऐसे लोग फिर ऐसी आजादी की मांग ना कर सकें। 

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