जिसका जैसा ” चरित्र ” होता है,
उसका वैसा ही मित्र होता है !
शुद्धता होती है विचारों में ,
आदमी कब पवित्र होता है !
फूलों में भी कि कीड़े पायें जाते हैं ,
और पत्थरों में भी हीरे पायें जाते हैं !
बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही ,
नर में भी नारायण पाये जाते हैं!
उसका वैसा ही मित्र होता है !
शुद्धता होती है विचारों में ,
आदमी कब पवित्र होता है !
फूलों में भी कि कीड़े पायें जाते हैं ,
और पत्थरों में भी हीरे पायें जाते हैं !
बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही ,
नर में भी नारायण पाये जाते हैं!