आखिर क्यों?……सुशांत सिंह राजपूत….. क्यो?….1986 -2020

क्यूँ चला गया ये ऊभरता हुआ सितारा 1000 सालो के लिए प्रेत योनि में ।


बच्चे चाहे जितने भी बड़े हो जाएं लेकिन मां-बाप के लिए वह हमेशा बच्चे ही रहते हैं और वो भी जब उम्र 34 साल हो । यह उम्र छोड़कर जाने की तो नहीं होती। लेकिन बॉलीवुड का यह उभरता हुआ सितारा दुनिया को छोड़ कर हमारे शास्त्रो के हिसाब से 1000 वर्षों के लिए प्रेत योनि में चला गया।जब मैं दोपहर बच्चों के साथ Amazon Prime Video पर मूवी देख रहा था गुलाबो-सिताबो ” तो What’s up पर एक मैसेज आया जिसमे सुशांत सिंह राजपूत का फोटो था और नीचे Caption में लिखा था RIP सुशांत सिंह राजपूत तो मुझे यकीन ही नही हुआ। मैने तुरंत मूवी बन्द कर आजतक न्यूज चैनल चलाया तो वहाँ पर भी यही खबर चल रही थी। ऐसे लगा जैसे एक दोस्त कम हो गया हो ।

इतनी जल्दी चले जाओगे यह आपके फैन्स ने सपने मे भी कभी नहीं सोचा होगा। जिसकी बल्लेबाजी और टाइमिंग के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी मुरीद हो, उनकी टाइमिंग इस बार करोड़ों लोगों को निराश कर गई।हर कोई पूछ रहा है आखिर क्यों। बॉलीवुड के सितारों से लेकर देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी तक ने जिसके यूँ दुनिया छोड़कर चले जाने पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हो वह कोई छोटा सितारा तो नहीं हो सकता।

माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी :-
अक्षय कुमार :- 

 आपका धर्म पाजी :-

शेखर कपूर :- 

अनुपम खेर :- 

Shashi Kant Bhati :- 

My Condolence :- 

सच्चाई यह है कि फिल्मी सितारों की असली लाइफ इतनी आसान नहीं होती जितना कि उनके फैंस को लगता है। अगर क्रिकेट से तुलना की जाए तो शायद उनके ऊपर भी उतना ही दबाव होता होगा जितना कि वर्ल्ड कप के दौरान भारत-पाकिस्तान के मैच में खिलाड़ियों पर होता है। आपने धोनी द अनटोल्ड स्टोरी ऑफर होने के बाद भले ही 400 – 500 घंटे महेन्द्र सिंह धोनी की वीडियोस देखी हो, उनकी हैयर स्टाइल को अपनाया हो, यहां तक कि उनकी तरह विकेट कीपिंग, बल्लेबाजी और दुनिया भर में मशहूर उनका फेवरेट हेलीकॉप्टर शॉट भी सीख लिया हो, लेकिन धोनी के अंदर मैच के दौरान जो प्रैशर झेलने की क्षमता है उसको सीखा नहीं जा सकता वह चीज डीएनए में होती है।

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जिंदगी भी क्रिकेट की तरह है। कुछ लोग बाउंसर आने पर सावधानीपूर्वक डक कर जाते हैं और कुछ लोग मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की तरह अपरकट मार कर बाल को बाउंड्री के बाहर भेज देते हैं। और आप ने भी अर्जुन तेंदुलकर की बाउंसर पर कुछ बेहतरीन शॉर्ट्स लगाकर क्रिकेट के भगवान मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को भी अपना फैन बना लिया था। लेकिन इस बार आप गलत शॉट खेलकर आउट हो गए। काश जिंदगी में क्रिकेट की तरह रिव्यू सिस्टम होता, तो मैं यहाँ पर रिव्यू ले लेता। सुशांत सिंह राजपूत, पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के इतने बड़े फैन थे कि जब उन्हें उनकी बायोपिक फिल्म धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी ऑफर हुई तो उन्होंने अपने आप को पूरी तरीके से धोनी के रूप में तब्दील कर दिया । लगभग 1 साल क्रिकेट का कठिन अभ्यास किया, धोनी की बैटिंग करते हुए वीडियो देखी और नेट पर घंटों रणजी ट्रॉफी स्तर के बल्लेबाजों का सामना किया और तो और विकेट कीपिंग भी धोनी की तरह ही सीखी। हालांकि एक एक्टर के लिए क्रिकेटर के रूप में तब्दील हो जाना इतना आसान नहीं होता। असल लाइफ फिल्मी दुनिया से बहुत अलग होती है। लेकिन फिर भी सुशांत सिंह राजपूत ने नामुमकिन को मुमकिन करके दिखाया। एक बार जब सचिन तेंदुलकर अपने बेटे अर्जुन तेंदुलकर को प्रैक्टिस करवाने के लिए ग्राउंड पर लेकर गए तब उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को नेट पर प्रैक्टिस करते हुए देखकर पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज किरण मोरे से पूछा था कि यह लड़का कौन है । तब किरण मोरे ने बताया था कि यह हमारा एक्टर है जोकि धोनी पर बनने जा रही बायोपिक फिल्म के लिए मेरे नेतृत्व में क्रिकेट सीख रहा है। तब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने आश्चर्यचकित होकर कहा था कि लग ही नहीं रहा यह कोई एक्टर है यह तो प्रॉपर बल्लेबाज लग रहा है। और फिर अर्जुन तेंदुलकर की बॉलिंग पर भी सुशांत सिंह राजपूत ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाकर मास्टर ब्लास्टर का दिल जीत लिया था।

कितना अजीब इत्तेफाक है, 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल में जब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आउट हो जाते हैं, तब महेंद्र सिंह धोनी अपने दोस्तों के लिए चाय बनाने किचन में जाते हैं और 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल में जब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आउट होते हैं, तो महेंद्र सिंह धोनी तैयार होकर खुद मैदान में उतरते हैं और अपने हेलीकॉप्टर शॉट के साथ मैच जिताते हैं। वाह रे ईश्वर तेरी अजब ही लीला..

क्या सच में आत्महत्या की इतनी बडी सजा मिलती है:- 


यह बहुमूल्य जीवन ईश्वर ने मनुष्य को एक विशेष कार्य के लिए दिया है और इसे प्रकृति के अनुकूल ही जीना होता। लेकिन मनुष्य जीवन और शरीर को अपनी धरोहर और प्रकृति को अपनी सेविका समझ लेता है। जिसका परिणाम पूरी दुनिया कोरोनावायरस जैसी महामारी के रूप में देख रही है। न तो मनुष्य किसी को जीवन दे सकता है और न ही उसे किसी के जीवन को लेने का अधिकार है। ईश्वर के नियम बहुत ही सक्त है। जिस प्रकार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना भरना पडता है । ठीक उसी तरह ईश्वर के नियमों के विरुद्ध जाने पर भी कडी सजा भुगतनी पडती है। मैं यहाँ पर आपको डरा नही रहा हूँ बल्कि आपका सच्चाई से सामना करा रहा हूँ। हमारे सन्तो ने भी कहा है कि आत्महत्या करने वाले 1000 सालो तक प्रेत योनि में भटकते रहते है और सन्तो की वाणी ईश्वर की वाणी होती है जिसको साधारण परिस्थितियां में बदला नही जा सकता। लेकिन मैं तो फिर ईश्वर से यही प्रार्थना करूंगा कि ईश्वर सुशांत सिंह राजपूत को क्षमा करे। 
कितना आसान होता है अपने पार्टनर से ये कहना कि मैं अगले सात जन्मों तक जीवन साथी के रूप में तुम्हें ही पाना चाहूंगा। लेकिन सच में ये उतना आसान होता नहीं है। ज्यादातर रिश्तो का कुछ सालो में ही दम घुटने लगता है। लेकिन यह सवाल और भी महत्वपूर्ण है कि जब ईश्वर द्वारा दिया गया एक ही जन्म आप नही जी पाए तो ईश्वर आपको दूसरा मौका क्यूँ दे। आखिर क्यूँ। हालाकि ये सवाल पूछना बहुत ही आसान है लेकिन कबीर साहब ने कहा था ” जा तन लागे सो तन जाने ” ।

काश जीवन की साँसें भी Transferable होती :-

 परमात्मा ने प्रत्येक जीव को गिनती की सांसे जीने के लिए दी है । आज साइंस यह दावा करती है कि उसने बहुत तरक्की कर ली है। डॉक्टर इंसान के खराब हुए ऑर्गनस को ट्रांसप्लांट कर उसकी जिंदगी बचाने का दावा करते हैं, लेकिन कोई भी डॉक्टर या वैज्ञानिक परमात्मा द्वारा इंसान को दी गई बहुमूल्य सांसो को अभी तक ट्रांसफर नहीं कर पाया है और ना ही कर पाएगा। जो लोग ज्यादा भावुक/Emotional होते हैं वे जल्दी ही भावेश मे आकर ऐसा गलत कदम उठा लेते हैं। ऐसे इंसान दिल के जितने प्यारे और साफ होते, इनको उतना ही Special Care की आवश्यकता होती है। ये गुलाब के फूल की तरह होते अगर इनको सम्भाल कर रखा जाए तो ये पूरी बगिया को महका देते है और अगर गुलाब तोडकर किसी से अपने प्यार का इजहार किया जाए तो रिश्ते को महका देते है। इरफान खाँन और ऋषि कपूर जैसे सितारे और जीना चाहते थे लेकिन उनकी साँसें पूरी हो चुकी थी और सुशांत सिंह राजपूत के पास शायद अभी बहुत साँसें बाकी थी लेकिन……
सुशांत सिंह राजपूत का अध्यात्म से भी जुड़ाव था :- 
सुशांत सिंह राजपूत ने पिछले साल अपने ट्विटर हैंडल पर एक छोटी सी वीडियो नाद ब्रह्म टाइटल के साथ डाली थी। जोकि ब्रह्मांड में हो रही ध्वनि पर वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही रिसर्च पर आधारित था। पूरे ब्रह्मांड के कण-कण में ओम ॐ की ध्वनि गुंजायमान है । जिस पर वैज्ञानिक कई सौ सालों से रिसर्च कर रहे हैं जिसे अध्यात्म में नाद ब्रह्म और अनाहत नाद कहा जाता है । विज्ञान और वैज्ञानिक अध्यात्म में यकीन नहीं करते लेकिन उनको यह भी नहीं पता कि विज्ञान अध्यात्म से ही निकला हुआ है। बल्कि विज्ञान तो अध्यात्म का एक छोटा सा विषय है। नाद ब्रह्म को वैज्ञानिक रिसर्च से नहीं बल्कि अध्यात्मिक रिसर्च और ध्यान से पाया जा सकता है, सुना जा सकता है। अगर सुशांत सिंह राजपूत से मेरी पहले मुलाकात हो गई होती तो मैं अनहद नाद को सुनने में उनकी मदद कर सकता था। 

सुशांत सिंह राजपूत के विचार उनके द्वारा किए गए ट्वीटस से पता चलते है। वो चाहते थे कि उनके पास एक टीम हो जो जीवन की सम्भावनाओं पर रिसर्च करें । 

” कहने को उडने के लिए अभी पूरा आसमान बाकी है लेकिन तुमने पंख ही बन्द कर लिए तो क्या कहे “

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