।। देश के प्रधान सेवक और प्रदेश के मुखिया से स्वप्न में हुई मन की बात पर आधारित पत्र ।।


जब देश का गरीब तबका महंगाई की मार झेल रहा था तब हमने डीजल पेट्रोल के दाम रोजाना बढ़ाने शुरू कर दिए। जब देश का पढा लिखा वर्ग देश की जीडीपी और आर्थिक हालातों को लेकर के चिंता जाहिर करता, देश में बढ़ रही बेरोजगारी के लिए सरकार से सवाल पूछता और देश की जनता को जागरूक करने की कोशिश करता तो हमने हिन्दू-मुस्लिम के दंगे करवा दिए। पाकिस्तान,चीन की बातो में उन्हें उलझा दिया। मीडिया ने देश हित में उनकी बात ऊठानी चाही तो हमने उन्हें भी खरीद लिया।
अन्नदाता फसलों के उचित दाम न मिल पाने के कारण दाम बढ़ाने की लगातार मांग कर रहा था तो हमने कृषि कानून बनाकर उनकी फसलों को उद्योगपतियों के हवाले कर दिया ताकि देश का किसान धीरे-धीरे उघोगपतियों के चंगुल में ऐसा फंसे की  दाल-रोटी के सिवा कुछ सोच ही ना पाए। जब देश में कोरोना जैसी भयानक माहमारी आई तो हमने लॉकडाउन के रूप में सभी यातायात सेवाओं पर पाबंदी लगा दी। जिससे परदेसी लोग भूखे-प्यासे ही अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर  के कई-कई सौ किलोमीटर सड़कों पर  दिन-रात पैदल चलकर अपने-आप घर पहुंचने को मजबूर हो गया। लेकिन जो अमीर लोग विदेशो में थे उन्हें विशेष विमान से हम देश वापस लेकर आए ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि बेहतर बनी रहे। देश की जनता से दीपक जलवाऐं, तालियां बजवाई, थालियां बजवाई लेकिन जब कोरोना वैक्सीन बन कर तैयार हुई तो हमने सबसे पहले देश की जरूरतमंद जनता को देने के बजाय सबसे अधिक मात्रा में विदेशों में बेच दी या दान कर दी। जब देश को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत थी तब हमने पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 2 गुनी मात्रा में ऑक्सीजन विदेशों में निर्यात कर दिया। लोग बगैर ऑक्सीजन के सड़कों पर, अस्पतालों के बाहर और अस्पतालों में भी दम तोड़ने लगे। देश में जरूरी दवाइयां, रेमदेसीविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन के सिलेंडरों की जमकर कालाबाजारी हुई जिन्हें हम रोकने में नाकामयाब रहे।

 ” जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं और 2 गज दूरी मास्क है जरूरी ” जैसे स्लोगन का पूरे साल विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार किया और उल्लंघन करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई की गई लेकिन जैसे ही राज्य में चुनाव घोषित हुए तो हमने वहां जाकर के हजारों लाखों की तादाद में भीड़ इकट्ठी कर करके चुनावी रैलियां आयोजित की और वहां की भोली भाली जनता को मौत के मुंह में धकेल दिया। मुझे अपने आप को देश का प्रधान सेवक कहने पर शर्म महसूस होती है। मेरा जमीर मुझे बुरी तरह धिक्कार रहा है। मै बहुत शर्मिन्दा हूँ। अपनी हर सांस में मुझे दम तोड़ते हुए लोगों की सिसकियां, चारो तरफ चीख-पुकारे सुनाई देती है। जिधर भी नजर उठा कर देखता हूं तो जलती हुई चिताऐं दिखाई पड़ती हैं। देश को विश्व गुरु बनाने का सपना दिखलाया था लेकिन आज हर विदेशी मीडिया में अपनी ही बदइंतजामी के चर्चे दिखाई और सुनाई पड़ते हैं। पूरा विश्व आज  हमको दयनीय नजर से देख रहा है। देश में कोरोना की वैक्सीन बनते ही हमने देश के लोगों को वैक्सीन लगवाने के बजाय ज्यादा से ज्यादा मात्रा में विदेशों में या तो दान कर दी या बेच दी ताकि विदेशी मीडिया मुझे नेल्सन मंडेला और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसे ग्लोबल लीडर की श्रेणी में रख दें। लेकिन राष्ट्रीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा जाने की लालसा ने मुझे कही का नही छोडा। आज देश में बिना दवाइयों और ऑक्सीजन के लोग सड़कों पर, अस्पतालों में और अस्पतालों के बाहर तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं। परिजन अपनों के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से ऑक्सीजन की भीख मांग रहे हैं लेकिन मैं आज लाचार हूं। मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं। मैं अपने लोगों को अपनी आंखों के सामने मरता हुआ देख रहा हूं। निकले थे दानी बनने लेकिन आज दूसरे देशों से देश में चाहे वह वैक्सीन के रूप में हो,  दवाइयों के रूप में, ऑक्सीजन के रूप में सहायता पहुंचाई जा रही है। निकला था ग्लोबल लीडर बनने लेकिन प्रभु की ऐसी ही इच्छा थी। हे संजय इस बात का मुझे बड़ा ही मलाल रहेगा कि दुनिया के सबसे क्रूर शासकों की सूची मैं मेरा नाम लिखा जाएगा। 

प्रभु श्रीराम ने बहुत दिया लगातार तीन बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया तो मैने अहंकार वश जनता को बेवकूफ समझना शुरू कर दिया, लगातार दो बार देश का प्रधानमंत्री बनाया तो मैने अपने साथी नेताओ और यहां तक की प्रभु श्रीराम को ही अपना सेवक समझना शुरू कर दिया। 



हम जैसे जलील लोगों के लिए शायद भगवान के पास भी कोई मुनासिब सजा नहीं होगी। हम इस देश में सांस लेने के काबिल नहीं है। हम उन लोगों को मुंह दिखाने के काबिल नहीं है जिनकी वोटो के दम पर…

👉पिछले लॉक डाउन में आत्म निर्भर बना दिया था…
👉इस लॉक डाउन में विश्व निर्भर बना दिए…
“यही तो है न्यू इंडिया”

— Maryada Maurya (@maryada_maurya) May 8, 2021

आज हमारे हाथ नजाने कितने मासूम लोगो के खून से रंगे हुए है।

अंतिम संस्कार अब उसका होना चाहिए , जिसकी वजह से इतने अंतिम संस्कार हो रहे है ।।

— Kiran singh (@kiran_singh077) May 8, 2021

हमने लोगो की भावनाओ से खिलवाड किया है, उनके जीवन को दांव पर लगा दिया। जिसके लिए हम देश की जनता से माफी मांगने के भी काबिल नहीं। मासूम लोगो की हत्या और उनके जीवन से खिलवाड के लिए देश की संसद को चुनाव आयोग के अधिकारीयों के साथ ही साथ हम पर भी हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। 

हम इन्सान कहलाने के लायक नहीं है, इन्सानों के बीच में रहने के लायक नहीं है। हमारी सुरक्षा हटा लो और हमें देश की जनता के हवाले कर दो ताकि जिनकी जिन्दगी में हम तबाही लाए है वे हमें सबक सिखाएँ, देश की जनता हमें जूतों से मारे, हमारे मुंह काले करके हमें गधों पर बैठाए और हमें दहकती हुई सलाखों पर रखे तो भी शायद हमारे गुनाहों का प्रायश्चित ना हो। आराम से जिंदा रहना हर व्यक्ति का अधिकार है लेकिन गरीबों से उनके रोजगार छीन लेना, उनसे जरूरी दवाइयां और जिंदा रहने के लिए उनके हिस्से का ऑक्सीजन और वैक्सीन विदेशो में बेच देना, गरीब और मासूम लोगों को व्यापार के नाम पर बर्बाद करना और भाईयो-बहनों कहकर गुमराह करना किसी का अधिकार नहीं है।

।। देश के प्रधान सेवक और प्रदेश के मुखिया से स्वप्न में हुई मन की बात पर आधारित पत्र ।।


NOTE :- यह लेख एक स्वप्न पर आधारित है। हमारा किसी की भावनाओ को आहत करने का कोई इरादा नहीं है।

This article is based on a dream.  We have no intention of hurting anyone’s feelings.

Leave a Comment