भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के कितने मित्र प्रशंसक है ट्विटर व फेसबुक पर?

भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने पहली बार 26 may 2014 को देश के चौदह वे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की और 2019 में 130 करोड़ देशवासियों का भरोसा जीत कर लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के चाहने वाले देश ही  नहीं विदेशों में भी बड़ी संख्या में रहते हैं। 


14th Prime Minister of India 




जिसका नजारा हमें नरेंद्र मोदी जी के विदेशी दौरो पर देखने को मिलता है। अमेरिका में भी नरेंद्र मोदी जी के चाहने वाले बेशुमार संख्या में मौजूद है। अमेरिका के राजनीतिक विशेषज्ञों और वहां की मीडिया ने तो यहां तक दावा किया कि अगर नरेंद्र मोदी जी अमेरिका मे भी चुनाव लड़ेंगे तो रिकार्ड मतो से जीत सकते हैं। दुनियाभर में  सुपर पावर के नाम से जाने जाने वाले अमेरिकी देश के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो 2020 में अमेरिका में हुए चुनाव प्रचार में नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता का भरपूर फायदा उठाया और उनके द्वारा अमेरिका में अपना चुनाव प्रचार भी करवाया। जिस प्रकार बीजेपी के आई टी सेल ने लोकसभा चुनाव में स्लोगन दिया था कि इस बार मोदी सरकार उसी तर्ज पर ट्रंप की आईटी सेल ने अमेरिका में स्लोगन दिया कि इस बार ट्रम्प सरकार। हालांकि यह स्लोगन ट्रम्प के ज्यादा काम नहीं आया और उन्हें लगातार दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनाने में नाकामयाब रहा। ट्विटर पर फॉलोअर्स की बात करें तो मोदी जी के प्रशंसक सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन 45.5 मिलियंस, क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर 35.4 मिलियंस, भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली 41.4 मिलियंस, लगातार दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल 21.7 मिलियंस से कहीं ज्यादा है। ट्विटर पर 66.9 मिलियन फॉलोअर्स के साथ मोदी जी का नंबर देश और दुनिया में सबसे अधिक प्रसिद्ध राजनेताओं की श्रेणी में टॉप टेन में आता है। वही फेसबुक पर प्रधानमंत्री मोदी जी के 46,058,056 / फॉलोअर्स है।
भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता 2014 मे चरम पर थी। उस समय के लोक सभा इलेक्शन में कांग्रेस पार्टी पर बेरोजगारी,भ्रष्टाचार,महंगाई और आतंकवाद जैसे मुद्दों को लेकर के उन्होनें जबरदस्त प्रहार किए थे। तब उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान खुले मंच से कई बार देश की 125 करोड़ जनसंख्या को विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने और सभी को 15-15 लाख रुपए देने का वादा किया था। नरेंद्र मोदी जी उस समय कहा करते थे कि मैं प्रधानमंत्री नहीं प्रधान सेवक बनना चाहता हूं और दिल्ली में रहकर देश की चौकीदारी करूंगा।  यह बात और है कि न तो किसी भी देश के नागरिक को 1500000/ रुपए मिले और ना ही रोजगार। इसके उलट 2018 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राफेल डील में हुए भ्रष्टाचार के कारण चौकीदार ही चोर है का नारा खूब लगाया गया और देखते ही देखते यह नारा पूरे देश में लगाया जाने लगा। 2018 मे मध्यप्रदेश में हुए विधान सभा चुनावों में तो “चौकीदार ही चोर है स्लोगन” का काफी असर पड़ा और कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को हराकर मध्यप्रदेश में अपनी सरकार बनाई लेकिन 2019 में देश में हुए लोकसभा चुनाव में इस स्लोगन का देश की जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन अब धीरे-धीरे राफेल डील में हुई भ्रष्टाचार का खुलासा होने लगा है और सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील में हुए भ्रष्टाचार के संबंध दायर याचिका पर सुनवाई की अनुमति भी दे दी है। फ्रांस के कुछ पत्रकारों ने दावा किया है कि डसॉल्ट राफेल डील के दौरान कंपनी ने एक भारतीय दलाल को मोटी रिश्वत दी थी। अगर आतंकवाद की बात की जाए तो साल 2019, तारीख़ 14 फ़रवरी. जम्मू और कश्मीर के पुलवामा के पास रिज़र्व पुलिस बल के 78 वाहनों के काफ़िले को निशाना बनाकर एक ज़ोरदार विस्फोट होता है। इस आतंकवादी हमले में 40 जवानों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो जाती है पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पडती हैं। यह आतंकवादी हमला ऐसे समय में हुआ जब देश के कुछ हिस्सों में आम चुनाव चल रहे थे। हालांकि हमले के कुछ समय बाद ही भारतीय सेना के जवानो ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की और पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया। भारतीय सेना के जवानों की शहादत का बदला लेने पर माननीय नरेंद्र मोदी जी ने आम चुनाव में इसका भरपूर इस्तेमाल किया। कुछ लोगों द्वारा तो यह भी आरोप लगाया कि ऐसा भी हो सकता है कि आतंकवादी हमला और 40 जवानों की शहादत में तत्कालीन केंद्र सरकार का हाथ भी हो सकता है। क्योंकि सत्ता के लिए सरकार कुछ भी कर सकती है। 2013-14 मे लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी जी कहा करते थे कि भाइयों – बहनों जब देश की सीमा चारों तरफ से केंद्र सरकार की निगरानी में रहती है तो आतंकवादी और विस्फोटक सामान देश की सीमा में अंदर कैसे आ जाते है लेकिन यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 70 सालों में इतना बड़ा आतंकवादी हमला किसी भी सरकार के समय नहीं हुआ और इतने बड़े आतंकवादी हमले के बावजूद भी इसकी आज तक किसी भी प्रकार की कोई भी जांच नहीं की गई है। जिस पर संदेह होना लाजमी है।

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