पुलिस प्रशासन और शासन में बैठे अघिकारियों को काले अंग्रेज

सूरजपुर थानांतर्गत  दो पक्षों में झगड़ा होने पर सूरजपुर पुलिस ने एक पक्ष के 2 लोगो को पकड़ कर पुलिस लॉकअप में बंद कर दिया। आरोप है कि दूसरे पक्ष के एक व्यक्ति ने थाने में घुसकर दोनों लड़कों की बुरी तरह से मारपीट की। जिसके विरोध में ग्रामीणों ने सूरजपुर थाने का घेराव किया। इस बीच गौतम बुद्ध नगर किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष गौतम अवाना

भी मौजूद रहे और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए सूरजपुर थाने में ही धरने पर बैठे रहे। ग्रामीणो का आरोप है कि आरोपी मेरठ में तैनात एसएसपी का रिश्तेदार है। पुलिस चाहे उत्तर प्रदेश की हो या देश अन्य किसी राज्य की,  पुलिस की भेदभाव पूर्ण नीति और तानाशाह वाली कार्यप्रणाली हमेशा से ही सवालो के घेरे मे रही है। अब समय आ गया है जब अंग्रेजी शासन के दौरान 1861 मे बने  पुलिस एक्ट और पुलिसिया तानाशाही मे बदलाव लाना होगा। क्योंकि 1861 मे जब पुलिस एक्ट अधिनियमित हुआ था,तब अंग्रेजी शासन था और इस कानून को बनाने वाले भी अंग्रेज ही थे। उस समय पुलिस अधिकारी भी अंग्रेज हुआ करते थे और हिन्दुस्तान की आवाम को दबाने और कुचलने के लिए तमाम तरह के कानून और हथकण्डे अपनाये जाते थे। आज अंग्रेज न तो हिंदुस्तान में है और न ही हिंदुस्तान पुलिस मे लेकिन ऐसा लगता है वो अंग्रेजियत वाला अभी भी बरकरार है। अगर में कुछ अपवादो को छोड़कर पुलिस प्रशासन और शासन में बैठे अघिकारियों को काले अंग्रेज कहकर सम्बोधित करूं तो इसमें जरा सा भी सन्देह नहीं होगा।

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