What is the matter : दिल्ली पुलिस की एफ आई आर के अनुसार सुशील कुमार और उसके अन्य साथी द्वारा पहलवान सोनू धनखड को उसके फ्लैट से गन पॉइंट पर जबरन किडनैप करके रात में छत्रसाल स्टेडियम लाया गया और वहां पर उसकी लाठी-डंडों से निर्दयता पूर्वक खूब पिटाई की गई, जिससे कि उसकी मृत्यु हो गई. जिसमें दिल्ली के मॉडल टाउन थाने पर अंतर्गत धारा 308/325/323/341/506/188/ 269/34 आईपीसी और 25/54/59 आर्म्स एक्ट में मुकदमा पंजीकृत किया गया. दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने पिछले महीने सुशील कुमार को अग्रिम जमानत देने से भी इनकार कर दिया था. जिसमें न्यायालय का यह मानना था कि अभियुक्त पर लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. अब तक की जांच का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि प्रार्थी/अभियुक्त ही मुख्य साजिशकर्ता है और प्रथम सूचना रिपोर्ट कोई विश्वकोश नहीं है विवेचना अभी जारी है. प्रार्थी/अभियुक्त के खिलाफ पहले से ही गैर जमानती वारंट जारी है. अत: मामले के तथ्यों एंव परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए जमानत का आधार पर्याप्त नहीं है यह कहते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
इसके कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस ने उसे दिल्ली से ही अपने साथी के साथ उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह अपनी महिला मित्र की स्कूटी से अपने किसी संबंधी से पैसे लेने जा रहा था. जिसके बाद दिल्ली पुलिस को माननीय न्यायालय से पूछताछ हेतु दो चरणों में 9 दिन का पुलिस कस्टडी रिमांड दिया गया था जो कि 2 जून को खत्म हो गया और उसके बाद न्यायालय द्वारा ओलंपियन सुशील कुमार को जुडिशल कस्टडी में भेज दिया गया था. उपरोक्त मामले में स्टेट की तरफ से एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव और मृतक सागर धनकड़ की ओर से एडवोकेट नितिन वशिष्ट माननीय न्यायालय के समक्ष पेश हुए, तो वही अभियुक्त सुशील कुमार की तरफ से प्रदीप राणा एडवोकेट ने माननीय न्यायालय के समक्ष उसका पक्ष रखा. Law of Crimes – Culpable Homicide & Murder
What is the difference between Judicial custody & Police custody?