Uttar Pradesh police can not arrest Twitter India’s MD Manish Maheshwari: Karnataka High Court
टि्वटर इंडिया तथा टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के लोनी बॉर्डर थाने में दर्ज हुई FIR के संबंध में कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी को अंतरिम राहत प्रदान की।
Karnataka High Court |
उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा टि्वटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष महेश्वरी को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 160 के अंतर्गत नोटिस भेज गाजियाबाद स्थित लोनी बॉर्डर थाने में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था।
गौरतलब है कि थाना लोनी बॉर्डर जनपद गाजियाबाद में दर्ज क्राइम संख्या 502/2021 के संबंध में विवेचना अधिकारी ने टि्वटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 160 के अंतर्गत नोटिस जारी किया था जिसमे यह उल्लेख किया गया था (TCIPL and Twitter India company) के विरुद्ध थाना लोनी बॉर्डर जनपद गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश क्राइम संख्या 502 / 2021 धारा 153, 153A ,295A ,505 ,120-B व 34 भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना अधिकारी द्वारा दिए गए नोटिस के माध्यम से यह दावा किया गया कि कुछ लोगों के द्वारा अपने-अपने टि्वटर हैंडलो का प्रयोग करके समाज के मध्य घृणा एवं विद्वेष फैलाने हेतु संदेश डाले गए थे। जिन पर आपके द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया और आपके द्वारा ऐसे समाज विरोधी संदेशों को वायरल होने दिया गया। उक्त मामले की विवेचना मेरे द्वारा की जा रही है। इसलिए उक्त मामले के संबंध में आप बयान दर्ज कराने के लिए मेरे समक्ष उपस्थित हो।
Ghaziabad Police |
जिसके बाद दिनांक 21/ 06/ 2021 को विवेचना अधिकारी द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 41 A का नोटिस भेजा गया। जिसमें विवेचना अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता को निर्देशित करते हुए कहा कि आपके द्वारा भेजी गई ईमेल से हमें ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त मामले में जारी विवेचना में आप सहयोग नहीं कर रहे हैं। हमारी जानकारी के अनुसार आप टि्वटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और भारत में ट्विटर के प्रतिनिधि हैं। इसलिए आप जांच में सहयोग करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं।
Manish Maheshwari |
Brief Facts Of The Petition
याचिकाकर्ता ने माननीय उच्च न्यायालय, कर्नाटक में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत याचिका दायर कर बताया कि मनीष माहेश्वरी टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (“TCIPL”) में रेवेन्यू हेड के पद पर कार्यरत है जोकि एडवरटाइजिंग, सेल्स आदि का काम देखते हैं। याचिकाकर्ता ने माननीय उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि उनका चयन कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(54) के अंतर्गत नहीं किया गया है। वे कभी भी टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (“TCIPL”) में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य नहीं रहे। उन्होंने यह भी बताया कि टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (“TCIPL”) का डाटा सार्वजनिक रूप से मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की वेबसाइट पर उपलब्ध है जोकि साफ-साफ बताता है कि याचिकाकर्ता न तो कभी उक्त कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर रहा और ना ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का सदस्य। उनकी कंपनी ट्विटर के प्लेटफार्म पर किसी भी प्रकार की सर्विस उपलब्ध नहीं करवाती है। उनकी कंपनी का मुख्य कार्य टि्वटर पर सेल्स और मार्केटिंग जैसे कार्यो को भारत में सपोर्ट करना है। याचिकाकर्ता और उनकी कंपनी टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (“TCIPL”) का टि्वटर पर उपलब्ध डाटा और अकाउंट्स पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है। याचिकाकर्ता द्वारा यह भी बताया गया कि वह उक्त कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर नहीं है बल्कि केवल एक एंप्लॉय हैं। याचिकाकर्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को अवगत कराया कि वे लगातार विवेचना अधिकारी के संपर्क में हैं और उन्हें पूर्ण सहयोग करने के लिए तैयार हैं उसके बावजूद भी उनके खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41A के तहत गैर कानूनी नोटिस भेजा गया है। मनीष माहेश्वरी ने अपनी याचिका के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय से अपील करते हुए कहा कि उनके खिलाफ उक्त नोटिस बिना किसी कानूनी आधार के भेजा गया। इसलिए विवेचक की मनमानी कार्रवाई को देखते हुए उक्त नोटिस को रद्द किया जाए।
याचिकाकर्ता के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 160 के अंतर्गत जारी किए गए नोटिस का जवाब देते हुए याचिकाकर्ता ने लिखा कि वह केवल टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (“TCIPL”) में एक कर्मचारी है। www.twitter.com पर मौजूद सभी सुविधाएं टि्वटर के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है ना कि उनकी कंपनी
“TCIPL” के द्वारा। इसके बावजूद भी वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा विवेचना में पूर्ण सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
Brief Facts Of The Case
ट्विटर पर एक वीडियो वायरल की जाती है जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति को जिसका नाम अब्दुल समद सैफी है, पीटते हुए और जबरन उसकी दाढ़ी काटते हुए दिखाया गया। इस वीडियो को वायरल करने वाले लोगों के द्वारा यह भी दावा किया गया कि उक्त बदमाश किस्म के लोग हिंदू समाज से ताल्लुक रखते हैं और उक्त विडियो में पीड़ित अब्दुल समद सैफी को जय श्री राम और वंदे मातरम का नारा लगाने के लिए मजबूर कर रहे है। मोहम्मद जुबेर, शमा मोहम्मद, सबा नक्वी, मशकूर उस्मानी, द वायर, राना अय्यूब, सलमान निजामी आदि लोगो के द्वारा इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने एवं समाज में दंगा कराने की नियत से अपने-अपने टि्वटर हैंडल के माध्यम से उक्त वीडियो को दिनांक 14/06/2021 को वायरल करने का कार्य किया।