माना कि आज सच बोलना गुनाह है लेकिन यह गुनाह हम भी करके देखेंगे। आज लिखना जरूरी है।

माना कि आज सच बोलना गुनाह है लेकिन यह गुनाह हम भी करके देखेंगे। आज लिखना जरूरी है। 


पूरे देश में चल रहे इन हालातों को देखकर आज जब कलम हाथ में लेकर के लिखना शुरू किया तो कुछ शब्द कम पड़ गए लेकिन भावनाएं पूरी तरीके से व्यक्त नहीं हुई ।
पूरे भारत में दवाओं और ऑक्सीजन की कमी के कारण अघोषित मेडिकल इमरजेंसी जारी है।



 हम जानते हैं कि यह समय एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का नहीं है, राजनीति करने का नहीं है लेकिन यह भी सच है कि आज जिस तरह के हालात पूरे भारत में देखने को मिल रहे हैं, हमारे लोग बिना मेडिकल इक्विपमेंट और ऑक्सीजन के सड़कों पर ही दम तोड़ रहे है। उन सब के लिए हमारे आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी, प्रदेश के मुखिया श्री योगी आदित्यनाथ जी हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी जैसे तमाम नेता और देश का चुनाव आयोग ( Election Commission Of India ) का बहुत बड़ा योगदान रहा है। बड़े ही शर्म की बात है कि हमारी सरकारें, नेतागण विभिन्न माध्यमों से सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क जैसे कोरोनावायरस से बचने के नियमों का पालन करने पर जोर देती रही और अधिकारी उनका सही तरीके से पालन करवाते नजर आए । करोड़ों रुपए विज्ञापनों पर इसी बात के लिए खर्च किए गए ताकि लोग जागरूक हो सकें और लोगों ने इस अपील को समझा भी जो कि सही भी था। मास्क ना पहनने पर पहली बार पकड़े जाने पर ₹1000 का जुर्माना और दूसरी बार पकड़े जाने पर ₹10000 तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान कानून में कर दिया गया। उचित सामाजिक दूरी का पालन न करने पर लाखों लोगों पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188/269/270 और माहमारी अधिनियम 1897 की धारा 3  के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की गई। लेकिन जैसे ही चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव कराने की घोषणा की वैसे ही सबसे पहले सरकार के लोगों ने ही कोविड-19 पर समय-समय पर अपने द्वारा ही जारी किए गए दिशा-निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि ” जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं
2 गज दूरी मास्क है जरूरी ” लेकिन पश्चिम बंगाल में चुनावी सभा के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए मोदी जी कह रहे हैं कि आज मेरी सभा में इतनी भीड़ है कि जहां तक भी मेरी नजर जा रही है चारों तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे हैं।


अपने भाषण के दौरान उन्होंने तमाम इधर-उधर की बातें करी। अपनी क्षमता के अनुसार तरह-तरह के झूठे सपने दिखलाए जितने वह दिखला सकते थे लेकिन एक बार भी उनके भाषण मे उनके श्री मुख से ये दो जीवन रक्षक स्लोगन सुनने को नहीं मिले जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं
2 गज दूरी मास्क है जरूरी ” हां दीदी औ दीदी यह कहकर वह एक महिला का उपहास उड़ाते हुए जरूर नजर आए । देश और प्रदेश में  बगैर ऑक्सीजन के लोग मर रहे, समय पर इलाज नही मिल पा रहा । आज सवेरे ही मैंने एक न्यूज़ पेपर में खबर पढ़ी कि एक व्यक्ति अपना कोरोना का टेस्ट कराने के लिए कड़ी धूप में बहुत देर से लाइन में खड़ा था और अपना नंबर आने से पहले ही चल बसा। लेकिन प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ जी दावा कर रहे हैं कि किसी भी कॉविड अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं और लोगों में भय की स्थिति उत्पन्न करते हुए, धमकाते हुए कह रहे हैं कि यदि किसी ने इस तरह की अफवाह फैलाने की कोशिश करी तो ऐसे असमाजिक तत्वो के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी और उसकी संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी।
भाइयों-बहनों मैं पूछना चाहता हूं देश की 130 करोड़ जनसंख्या से असामाजिक तत्व कौन है वह आम जनता जो बगैर इलाज के दम तोड़ रही है, धक्के खा रही है या फिर ऐसे नेता जो चुनावी सभाओं को सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा भीड़ इकट्ठी कर रहे हैं और आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। मैं पूछना चाहता हूं सभी देशवासियों से कि इन लोगों के खिलाफ एन.एस.ए और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं ? इनकी संपत्ति जब्त कर लेनी चाहिए या नहीं ? एक तरफ तो हमारे प्रधानमंत्री कोविड-19 के खतरे को कम करने के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग में विचार विमर्श कर रहे हैं और वहीं दूसरी तरफ हमारे गृह मंत्री अमित शाह एक ही दिन में ताबड़तोड़ तीन-तीन चुनावी सभा कर रहे है। आखिर यह ढोंग किस लिए ?
ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि राष्ट्र  की सुरक्षा के लिए खतरा ये लोग हैं या फिर वे लोग जो बड़े स्तर पर मेडिकल उपकरणों की कमी, दवाइयों की कमी और ऑक्सीजन की कमी से तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं । मुकदमा कानून बनाकर कानून तोड़ने वालों पर दर्ज होना चाहिए या फिर आम लोगों पर ?
मोदी जी पूरे जीवन ही तो आपने राजनीति की है और चुनाव प्रचार किया है और आगे भी पूरा जीवन पड़ा है चुनाव प्रचार करने के लिए लेकिन आज तो रुक जाओ ! देश को आपकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश में नाइट कर्फ्यू और वीकेंड मे लॉकडाउन लगा दिया गया है तो चुनावी राज्यों में कोविड-19 के नियमों की धज्जियां क्यों उड़ाई जा रही हैं ? आखिर यह नियम आपके द्वारा ही तो बनाए गए हैं विपक्षी पार्टी द्वारा नहीं ! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने बड़ी बेशर्मी से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग को देखना चाहिए था और हमें पता भी नहीं था कि इससे संक्रमण तेजी से फैलेगा। इसमें दो बातें बहुत ही महत्वपूर्ण है की कोविड-19 के लिए समय-समय पर गाइडलाइन आप लोगों द्वारा जारी की गई ना कि चुनाव आयोग द्वारा। तो फिर चुनाव आयोग के कहने से आप अपने ही नियमों को कैसे तोड़ सकते हैं। दूसरी बात यदि आपको पता ही नहीं था कि चुनावी सभाओ मे भीड़ इकट्ठी करने से  संक्रमण तेजी से फैलेगा तो फिर आपने 2020 में देश में संपूर्ण लॉकडाउन क्यों लगा कर रखा। हिंदुस्तान की जनता मोदी जी द्वारा समय-समय पर दिए गए मूल मंत्रों को ईश्वर के बनाए गए नियम मानकर पूर्णत: पालन करती रही चाहे वह मास्क का इस्तेमाल करना हो, उचित सामाजिक दूरी बनाए रखनी हो। यहां तक की देश ने मोदी जी के कहने से दिए भी जलाए और थालियां भी बजाई। जिस पर विदेशी मीडिया ने देश की खूब चुटकी ली। लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं देश की भोली-भाली जनता के मन में यह था कि अगर मोदी जी कह रहे हैं तो इसमें कुछ ना कुछ जरूर होगा। मोदी जी कहते रहे कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं लेकिन जब हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात शोध करके वैक्सीन तैयार की तो देश की 130 करोड़ जनसंख्या की वोटो के सहारे दूसरी बार देश की चौकीदारी का जिम्मा संभालने वाले मोदी जी ने उन्हीं की आंखों में धूल झोंक ते हुए, उन्हीं के द्वारा पीएम केयर्स फंड में जमा किए गए पैसे से महंगे दामों में वैक्सीन खरीद कर विदेशों में पहुंचवा दी और कहते हैं कि देश कि भाइयों बहनों हिंदुस्तान की पाई-पाई पर देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों का हक है । मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक पिछले 12 महीने में लगभग 9300 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का विदेशों में निर्यात किया गया जो कि पिछले वर्षों से लगभग 2 गुना है । मैं पूछना चाहता हूं देश के प्रधानमंत्री जी से क्या यही दूरदर्शिता है आपकी ? आज हमारे लोग बिना दवाइयों के और ऑक्सीजन के अस्पतालों में और अस्पतालो के बाहर दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी कह रहे हैं कि इन चीजों को जो भी सोशल मीडिया पर फैलाएगा या सरकार की नाकामयाबी के बारे मे बात करेगा तो उसके खिलाफ संपत्ति जब्ती करण और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी ।

अभी पिछले दिनों खबर आई कि योगी जी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं जिनके इलाज के लिए लखनऊ में विशेष कमरे का इंतजाम किया गया है । जबकि जिन लोगों को उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में बुलाकर संक्रमित किया उन लोगों के लिए योगी जी ने या उनकी सरकार ने कोई इंतजाम किए ? पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर दिल को दहला देने वाली तस्वीरें, वीडियो सामने आ रहे हैं वही आज ट्विटर पर आगरा शहर ट्रेंड कर रहा है । लेकिन इसका कारण कोई बड़ी उपलब्धि नहीं बल्कि कोरोनावायरस से पीड़ित लोग है । एक तस्वीर ट्विटर पर ऐसी भी सामने आई जिसमें एक गाड़ी में महिला अपने कोरोना पॉजिटिव पति को मुंह से ऑक्सीजन देती नजर आई ।

Agara Woman trying to give air oxygen to her husband 

मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव बनर्जी और जस्टिस सेंथिल कुमार राममूर्ति की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को सबसे गैर जिम्मेदाराना संस्था करार दिया और कहा कि आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपो में भी मामला दर्ज किया जा सकता है, तो फिर इन्हीं आरोपों में देश के प्रधानमंत्री पर मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया जा सकता । उनकी चुनावी रैलियों में तो सबसे ज्यादा भीड़ होती है तो जाहिर सी बात है कि कोरोना का संक्रमण भी उन्हीं की सभाओं से सबसे ज्यादा फैला होगा।




Madras High Court comes down heavily on Election Commission of India @ECISVEEP for allowing political rallies during #COVID

Chief Justice Sanjib Banerjee goes to the extent of saying “Election Commission officers should be booked on murder charges probably”.#ElectionCommission pic.twitter.com/AZBAbV7yi4

— Live Law (@LiveLawIndia) April 26, 2021

मैं कुमार श्याम द्वारा कही गई इस बात से बिल्कुल सहमत हूं कि ” मूर्ख शासक बड़े मेहनती होते हैं लेकिन गलत दिशा में मेहनत करते हैं ” इस पर मुझे एक कहानी याद आती है कि एक बार पांच शराबी मित्र शराब के नशे में नदी के किनारे खडी हुई नाव में बैठ जाते हैं और रात भर पतवार चलाकर शैर ( घुमते ) करते हैं । सुबह तक जब उनका नशा ढीला हो जाता है तब उनमें से एक मित्र कहता है कि चलो लगता है बहुत दूर आ गए हैं अब वापस चलते हैं लेकिन दूसरा मित्र नाव से उतरकर कहता है कि बड़ी भूल हो गई नाव तो वहीं पर खड़ी है जहां पर रात थी हम इसे खोलना ही भूल गए ।

मैंने भूत की फिल्मों में देखा है कि शरीर मर जाते हैं और आत्माएं भटकती रहती हैं लेकिन हकीकत में इसके उलट आज आत्माएं ( जमीर ) मर चुकी है और शरीर घूम रहे है।

तानाशाही शासकों ने और गोदी मीडिया ने इस सपने को हकीकत में बदल दिया है ।


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