क्या है कोरोना का ‘डबल म्यूटेंट’, जिसने भारत में मचाया है कोहराम, दुनिया में लग रहा भारतीयों की एंट्री पर बैन :-
भारत में कोरोना संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के लिए यहां मिले ‘डबल म्यूटेंट’ वायरस को जिम्मेदार बताया जा रहा है। दुनियाभर में इस नए वेरिएंट को लेकर अब चर्चा शुरू हो गई है। हालात ये हैं कि ब्रिटेन और पाकिस्तान ने भारत को रेड लिस्ट में डाल दिया है। यानी अब इन देशों में भारतीयों की एंट्री फिलहाल नहीं हो सकेगी। कोरोना का यह नया वेरिएंट अभी तक दुनिया के दस देशों में पाया गया है। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में:
क्या है डबल म्यूटेंट वायरस?
इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तौर पर B.1.617 नाम दिया गया है, जिसमें दो तरह के म्यूटेशंस हैं- E484Q और L452R म्यूटेशन। आसान भाषा में समझें तो यह वायरस का वह रूप है, जिसके जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है। वैसे वायरस के जीनोमिक वेरिएंट में बदलाव होना आम बात है। दरअसल वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं ताकि उन्हें मारा न जा सके। डबल म्यूटेशन तब होता है जब वायरस के दो म्यूटेटेड स्ट्रेन मिलते हैं और तीसरा स्ट्रेन बनता है। भारत में रिपोर्ट की गई डबल म्यूटेंट वायरस E484Q और L452R के मिलने के प्रभाव से बना है। L452R स्ट्रेन संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया में पाया जाता है और E484Q स्ट्रेन स्वदेशी है।
महाराष्ट्र में सबसे पहले पाया गया ये डबल म्यूटेशन
डबल म्यूटेंट वायरस की पहचान देश के कम से कम पांच राज्यों में की जा चुकी है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ये डबल म्यूटेशन महाराष्ट्र से शुरू हुआ है। महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश उन राज्यों में शामिल हैं जहां डबल म्यूटेंट वाले वायरस पाए गए हैं। ये म्यूटेंट COVID-19 मामलों में तेजी से वृद्धि में भूमिका निभा रहे हैं।
क्यों खतरनाक है यह वायरस?
नया म्यूटेशन दो म्यूटेशंस के जेनेटिक कोड (E484Q और L452R) से है। जहां ये दोनों म्यूटेशंस ज्यादा संक्रमण दर के लिए जाने जाते हैं, वहीं यह पहली बार है कि दोनों म्यूटेशन एकसाथ मिल गए हैं जिससे कि वायरस ने कई गुना ज्यादा संक्रामक और खतरनाक रूप ले लिया है।
डबल म्यूटेंट वायरस के खिलाफ वैक्सीन कितनी असरदार?
फिलहाल यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है। डबल म्यूटेंट वायरस के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन कारगर है या नहीं यह जानने के लिए फिलहाल जांच जारी है। अभी तक यह माना जा रहा है कि भारत में मौजूद कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन इस वेरिएंट के प्रति कारगर है।
शरीर में बढ़ जाता है वायरल लोड
कई बार म्यूटेशन के बाद वायरस पहले से कमजोर हो जाता है लेकिन कई बार म्यूटेशन की यह प्रक्रिया वायरस को काफी खतरनाक बना देती है। ऐसे में वायरस हमारे शरीर की किसी कोशिका पर हमला करते हैं तो कोशिका कुछ ही घंटों के अंदर वायरस की हजारों कॉपीज बना देती है। इससे शरीर में वायरस लोड तेजी से बढ़ता है और मरीज जल्दी ही बीमारी की गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है।
क्या यह वेरिएंट दूसरे वेरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक है?
शोधकर्ता अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, L452R पर अमेरिका में कई शोध हुए हैं और पाया गया है कि इससे संक्रमण 20 प्रतिशत तक बढ़ता है और साथ में ही ऐंटीबॉडी पर भी 50 प्रतिशत तक असर पड़ता है।