- नमस्कार साथियों, मेरा नाम मोहित भाटी है। मैं प्रोफेशन से एडवोकेट, ब्लॉगर और लेखक हूं। मैं कोई सेलिब्रिटी तो नहीं हूं लेकिन फिर भी मेरे दिमाग में एक विचार आया कि क्यों ना मैं ब्लॉग के द्वारा अपना डेली रूटीन आप लोगों के साथ सांझा किया करूं। क्योंकि जीवन में कई पल ऐसे आते हैं जोकि अविस्मरणीय होते हैं । जैसे कि बहुत सी घटनाएं दिन-प्रतिदिन हमारे जीवन में घटित होती हैं और तरह-तरह के सपने जो हमें दिखाई देते हैं। उन सपनों में से कई तो बहुत ही महत्वपूर्ण और रोचक होते हैं। लेकिन सपने उठने के घंटे 2 घंटे या 24 घंटे के बाद ही हम भूल जाते है। और फिर हम सोचते हैं कि यार अगर हम उस सपने को लिख लेते तो कितना अच्छा होता। अपनी डायरी तो मैं रोजाना अपडेट करता ही हूं। तो क्यों ना उसी डायरी को ब्लॉग के माध्यम से आप लोगों के साथ सांझा कर लिया करूं। दोस्तों ब्लॉग के माध्यम से अपना डेली रूटीन आप लोगों के साथ सांझा करने से मुझे कई फायदे होंगे। एक तो लिखने की आदत पड़ जाएगी और जीवन में डिसिप्लिन आएगा जोकि सभी के जीवन में सफलता की कुंजी होती है। दूसरा टाइम का सही इस्तेमाल होगा । तो चलो चलते हैं एक अविस्मरणीय/Unforgettable यात्रा पर। कृपया सभी ध्यान दे यात्रीगण अपने-अपने सामान की स्वयं जिम्मेदार होगी । जीवन बहुमूल्य है । इसका पल-पल अनमोल है । आने वाले पल का कोई भरोसा नहीं । इसलिए हमें हर पल मस्ती से जीना चाहिए । हर दिन की एक रात होती है और हर रात की एक सुबह होती है । लेकिन कितने ही लोग ऐसे होते हैं जिनके दिन की रात तो होती है। लेकिन रात की अगली सुबह उन्हे नसीब नहीं होती। जैसे कि अभी हाल ही में गुजरे दो सुपरस्टार अभिनेता इरफान खाँन और ऋषि कपूर। इसलिए मैं सुबह उठकर सबसे पहले अपने प्रभु को धन्यवाद देता हूं कि प्रभु आपने मुझे आज फिर एक खूबसूरत सुबह के साथ यह जीवन बक्सा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आज दिनांक 14 मई 2020 कोरोनावायरस का प्रकोप भारत सहित पूरी दुनिया में जारी है और जैसे कि मैंने ऊपर आपको बताया कि मैं एक एडवोकेट हूं। बहुत से क्लाइंट जेलों में बंद है और उनके परिवार वाले उनके लिए परेशान हैं। क्योंकि कोर्ट भी बंद है, और वह मुझे फोन कर-कर के बस यही कहते हैं कि वकील साहब कृपया कोर्ट खुलवा दीजिए। हमारे संबंधियों को छुड़वा दीजिए और मैं उन्हें एक ही जवाब देता हूं कि देखिए मेरे हाथ में कुछ नहीं है। पूरी दुनिया कोरोनावायरस के चलते लॉक डाउन हैं । और जब तक माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद, जिला न्यायालय को खुलने का आदेश नहीं दे देता, तब तक कोर्ट नहीं खुलेंगे। आज सुबह साथी अधिवक्ता भाई केके भाटी और अमित भाटी जी का फोन आया और कहने लगे कि कोर्ट चलना है। मैंने उन्हें कोरोनावायरस के खतरे से अवगत कराया। लेकिन उन्होंने मुझे यह कहते हुए राजी किया की कोर्ट में भीड़ कम है, और यदि हमारे जाने से कोई व्यक्ति जेल जाने से बच जाए तो उसके घर वाले हमें दुआ देंगे। इसलिए आज कोर्ट चलते हैं। थोड़ी देर के लिए। मैंने अपनी सहमति दे दी और 1 घंटे में तैयार होकर जब मैं घर से निकलने को हुआ तो घर वालों ने कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए चिंता जाहिर की कि घर में बच्चे और बुजुर्ग दोनों हैं। चारों तरफ लॉक डाउन है। ऐसी स्थिति में कहीं नहीं जाना चाहिए। लेकिन मैंने उन्हें जैसे-तैसे समझा लिया रास्ते में पूरी सड़क सुनसान पड़ी थी। ना बंदा ना बंदे की जात। प्रकृति का कैसा खेल निराला है । कभी जनसंख्या वृद्धि को लेकर देश चिंतित था, सड़कों पर ट्रैफिक के चलते हम सब परेशान रहते थे । और हम सब की वजह से ईश्वर के बनाए हुए अन्य जीव जैसे पशु-पक्षी स्वतंत्र नहीं घूम सकते थे। आज मनुष्य अपनी ही बनाई हुई दुनिया में कैसे कैद होकर रह गया है और प्रकृति के अन्य जीव प्रकृति का आनंद उठा रहे हैं। चारों तरफ चिड़ियों की चहचहाट है। प्रकृति मुस्कुरा रही है।
ऐसा लगता है कि प्रकृति मनुष्य के द्वारा सताए गए प्रकृति के अन्य जीवों की स्वतंत्रता से बहुत खुश है। मानो आज उसके बच्चे स्वतंत्र हो गए हो। पेड़ पौधे लहरा रहे हैं। केवल कुछ मनुष्य ही पुलिस वालों के रूप में सड़कों पर मौजूद हैं जोकि व्यवस्था बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी हैं । अब सुबह के 11:00 बज चुके हैं और हम जिला न्यायालय सूरजपुर स्थित अपने चैंबर पर पहुंचे हैं।
चैंबर लगभग 3 महीनों से बंद है। जैसे कि मुझे छिपकली, सांप, और मेंढक आदि से बहुत डर लगता है, और मुझे यही डर सता रहा था कि चेंबर में जरूर यही चीजें मिल सकती हैं और हुआ भी यही जैसे ही अधिवक्ता साथी ने चैंबर नंबर 629 गली नंबर 15 को का सटर उठाया और अंदर एंट्री की तो सबसे पहले दो छिपकलीयों ने हमारी तरफ भागते हुए हमारा स्वागत किया । जिससे मैं बुरी तरह चिल्लाया और बाहर की तरफ भागा। लेकिन साथी अधिवक्ता ने हंसते हुए छिपकलियों को भगा दिया । आगे और भी चीजे हमारा इन्तजार कर रही थी।साथी अधिवक्ता जब साफ-सफाई करके चेयर पर बैठे तो उनकी नजर टेबल के नीचे गई। जहां एक बड़ा सा सांप इंतजार कर रहा था। उसको देख कर साथी अधिवक्ता की भी सिट्टी पिट्टी गुल हो गई और चिल्लाते हुए बाहर की तरफ भागे। मैं तब तक नल से पानी भरकर वापस आ रहा था। तो मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ उन्होंने सांप के बारे में मुझे बताया। उसके बाद हमने कोर्ट में मौजूद पुलिस वाले भाइयों की मदद से किसी तरह उस सांप को उसकी मंजिल तक पहुंचा दिया
और फिर राहत की सांस ली लगभग 12:30 बज चुके थे। हमने जमानत से संबंधित दस्तावेज तैयार किए और रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर दिए तथा जमानत के आदेश माननीय न्यायालय ने हमारे आग्रह पर जारी करते हुए अभियुक्त को छोड़ने के निर्देश दिए। जिसके बाद अभियुक्त के घर वालो ने हमारा एहसान माना और चले गए । उसके बाद करने को काम तो कुछ बचा नहीं था और थोड़ा थके हुए भी थे। तो मैंने सोचा क्यों ना साथी अधिवक्ता अमित भाटी चैम्बर नंबर 184 पर दिवंगत अभिनेता इरफान खान की फिल्म देखकर मनोरंजन किया जाए । इरफान खान मेरे पसंदीदा हीरो में से एक रहे हैं। जिनके करैक्टर को मैं कहीं ना कहीं अपने आप से कनेक्ट कर पाता हूं और उनके गुजर जाने का मुझे बड़ा दुख होता है । मैंने साथी अधिवक्ता को बताया की पान सिंह तोमर के बाद उनकी दूसरी सबसे अच्छी फिल्म जो मुझे लगती है।वह राइट या रॉन्ग है और आज हम उसी को देखेंगे। हमने 5:00 बजे तक इस शानदार मूवी का मजा लिया।
मूवी का सारांश कुछ इस प्रकार है :-
इस फिल्म में इरफान खान और सनी देओल गोवा पुलिस में इन्स्क्रिप्ट और एसीपी होते हैं और बहुत ही खास दोस्त भी होते हैं। एक एनकाउंटर के दौरान सनी देओल (अजय श्रीधर) को रीड की हड्डी में गोली लग जाती है और उनका कमर से नीचे का हिस्सा पैरालाइस हो जाता है । अब वह अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते हैं। जिसके चलते उनको रीजाइन देना पड़ता है। जिससे उनके दोस्त इरफान खाँन (विनय पटनायक) सहमत नहीं है। अजय श्रीधर ने डॉक्टर से पूछा कि मेरे ठीक होने के चांसेस कितने हैं ? डॉक्टर का जवाब होता है कि बहुत कम, मिलियंस में से कोई एक ठीक होता है। अजय श्रीधर अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोलते हैं कि आई एम द वन इन मिलियंस। इसके बाद अजय श्रीधर को अपनी वाइफ और अपने भाई के अफेयर्स का पता चलता है । जिससे वह अंदर से बुरी तरह टूट जाते हैं और सुसाइड करने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर वह अपने बेटे की वजह से ऐसा नहीं करते और अपने भाई और अपनी पत्नी के मर्डर की बड़े रोचक तरीके से पटकथा तैयार करते हैं। वो उन दोनों से कहते कि मैं मरना चाहता हूँ और दोनो को अपने मर्डर के लिए तैयार करते हैं और वे दोनों तैयार भी हो जाते हैं। लेकिन शायद उन्हे पता नही था कि अजय को मारना इतना आसान नही होगा । जिसमें सेल्फ डिफेंस में दोनों मारे जाते हैं। पुलिस द्वारा केस को सेल्फ डिफेंस बताकर बंद कर दिया जाता है। लेकिन इरफान खाँन ( विनय पटनायक ) को शक होता है और वह अजय श्रीधर के घर भीगते हुए जाते हैं। अजय श्रीधर से सवाल पूछते हैं कि तुमने अपने भाई और पत्नी का प्लान करके मर्डर किया है। तुम पहले से ही उनके अफेयर्स के बारे में जानते थे । अजय श्रीधर इस आरोप को नकार देते हैं और कहते हैं की मैंने उन्हें सेल डिफेंस में मारा है। विनय पटनायक कहते हैं कि देखो मुझे पता है कि तुमने प्लान करके मर्डर किया है। It’s case of murder not self defense. और मैं तुम्हारा दोस्त हूं मुझे बता दो। लेकिन सनी देओल का वही जवाब होता है । इरफान खान सीनियर अधिकारी के पास इस बारे में अजय श्रीधर के खिलाफ जांच कमेटी गठित करने की मांग करते है। लेकिन सीनियर अधिकारी द्वारा उनसे फाइल लेकर दूसरे ऑफिसर को दे दी जाती है। फिर भी मीडिया से प्रैसर डलवा कर वह जांच कमेटी गठित करवा लेते हैं। लेकिन यह जानते हुए भी कि It’s case of murder not self defense. अजय श्रीधर को गिल्टी साबित नहीं कर पाते। नही ।
Hello friends, My name is Mohit Bhati. I am a professional advocate, blogger and writer. I am not a celebrity but still an idea came to my mind that why don’t I share my daily routine with you through a blog. Because there are many moments in life that are unforgettable. As many events happen in our day to day life and the variety of dreams that we see. Many of those dreams are very important and interesting. But we forget only after 2 hours or 24 hours after dreaming. And then we think how good it would have been if we had written that dream. I update my diary daily. So why not share the same diary with you guys through a blog. I will be benefited by sharing my daily routine with you guys through my blog.
ReplyForward
|