साल 2020 और कोरोनावायरस :-
प्रत्येक साल की तरह यह साल 2020 भी समाप्त होने को है और पूरी दुनिया नए साल 2021 के स्वागत के लिए दुल्हन की तरह सज कर तैयार है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि साल 2020 किसी एक व्यक्ति के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए पिछले 100 वर्षों के इतिहास को देखा जाए तो सबसे बुरा साल रहा है। इसने किसी व्यक्ति विशेष को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। ऐसी महामारी जो शायद ही किसी ने देखी हो लाखों-करोड़ों लोगो को अपनी चपेट में ले लिया उनमें से ना जाने कितने ऐसे हैं जो साल 2021 नहीं देख पाए। साल 2020 को कोरोना जैसे खतरनाक वायरस ने अपने नाम कर लिया। साल 2020 ऐसे-ऐसे महान सितारों को अपने साथ ले गया जिनको कभी भुलाया नहीं जा सकता । कुछ कोरोनावायरस की चपेट में आने की वजह से तो कुछ किसी और वजह से चाहे वह ऋषि कपूर हो, सुशांत सिंह राजपूत, इरफान खान या फिर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल आदि जैसे बड़े सितारों को 2020 अपने साथ ले गया। यहां तक की सदी के महानायक बिग बी अमिताभ बच्चन, उनके बेटे अभिषेक बच्चन और मिस वर्ल्ड रह चुकी अभिषेक बच्चन की पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन और उनकी बेटी को भी कोरोनावायरस ने अपनी चपेट में ले लिया था। हालांकि ईश्वर का शुक्र है कि उनको जल्दी ठीक कर लिया गया। इस सदी के सबसे भयावह साल की बात की जाए तो 2020 का नंबर सबसे ऊपर आएगा। यूं तो साल 2020 को कोई भी याद नहीं रखना चाहेगा लेकिन इसको भुलाया भी नहीं जा सकता। कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा की दुनिया में एक छोटे से वायरस की वजह से इतनी भयानक स्थिति पैदा हो जाएगी। पूरी दुनिया रुकने पर मजबूर हो जाएगी। कोरोनावायरस ने साल 2020 में ऐसी तबाही मचाई कि अब से पहले ऐसी तबाही सिर्फ हॉलीवुड की फिल्मों में ही देखने को मिलती थी। इससे हमे समझना होगा कि प्रकृति के साथ छेडछाड कितनी भारी पड सकती है। पूरा विश्व प्रकृति का एक हिस्सा मात्र है। पूरे विश्व को प्रकृति अपने हिसाब से चलाती है लेकिन इन्सान कितना बेवकूफ है कि प्रकृति को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करता है। प्रकृति बहुत ही शक्तिशाली है और इससे पार पाना मनुष्य के बसकी बात नही । हालांकि लॉकडाउन के दौरान प्रकृति मे एक अद्भुत बदलाव भी देखने को मिला, मानो जैसे प्रकृति फिर से अपनी बाल्यावस्था और यौवनावस्था के बीच पहुंच गई हो ।ऐसा लगा जैसे प्रकृति फिर से जवान हो गई हो, नदियों का पानी जो कभी गंदे नाले की तरह हुआ करता था वह निर्मल हो गया,हवा में मौजूद हानिकारक तत्व लगभग समाप्त हो गए और ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य हो गई, वातावरण में अद्भुत शांति छाई हुई थी,पहले की तरह प्रदुषण रहित नीला साफ आसमान और शहरों में भी चिड़ियों और कोयल की कुक सुनाई देने लगी थी।मानो फिर से आनंद योग आ गया हो।शायद ऐसा खूबसूरत प्रकृति का नजारा फिर कभी देखने को ना मिले और आने वाली पीढ़ियां तो सिर्फ इस बात की कल्पना कर ही रोमांचित हुआ करेंगी।
चीन से निकला यह खतरनाक वायरस बडी तेजी से पूरी दुनिया मे फैल गया। जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र का तोड पूरी दुनिया के किसी भी योद्धा के पास नहीं था उसी तरह कोरोनावायरस का तोड भी अभी तक दुनियाभर के वैज्ञानिक नही खोज पाए है। एक तरफ जहां कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया को तहस-नहस कर दिया वही दूसरी तरफ पूरी दुनिया को एकजुट होकर लडना भी सिखाया। इस महामारी के दौर मे जब पूरी दुनिया अपने-अपने घरो मे कैद थी वही कुछ लोग जैसे डाक्टर्स,नर्स,पुलिस और समाजिक कार्यकर्ता कोरोना वारियर्स के रूप में सामने आए और कोरोनावायरस से बिना डरे लोगो को सहारा दिया। बॉलीवुड के बेहद शानदार कलाकार सोनू सूद ने लॉकडाउन में फंसे लोगो को उनके घरो तक पहुंचाया तो वही दुसरी तरफ यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री निवास और राष्ट्रीय सचिव दीपक भाटी चोटीवाला ने लॉकडाउन मे फंसे लोगो तक भोजन,दवाईयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाया।
दीपक भाटी चोटीवाला |
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री निवास और राष्ट्रीय सचिव दीपक चोटीवाला |
अर्जुन भाटी गुर्जर |
बड़े ताज्जुब की बात है कि ऋषि कपूर जैसे सितारे के अंतिम संस्कार में उनकी बेटी जो कि दिल्ली में रहती है शामिल नहीं हो सकी सिर्फ इसी वायरस की वजह से। भाजपा के फायर ब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। बॉलीवुड के यूनिक सुपरस्टार रहे इरफान खान भी अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे। अब आप सोच सकते हैं की सिर्फ दौलत-शौहरत,बडा नाम, हैसियत होना ही काफी नहीं है। सबसे बड़ी ताकत ईश्वर है और वही पूरी दुनिया को चला रहा है। यह एक ऐसा समय रहा जिसमें पैसा भी कुछ खास काम नहीं आ सका। मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग मानव जीवन के लिए जरूरी बन गए। कोविड – 19 नाम की महामारी ने पूरी दुनिया को रोक दिया और सोचने पर मजबूर कर दिया। इसका सीधा-सीधा इशारा उन विकसित देशों की तरफ है जोकि विकास की होड़ में और खतरनाक विस्फोटक हथियारों की खोज में दिन रात एक किए हुए है। वैसे कहने को तो विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है लेकिन अगर महाभारत काल की बात की जाए तो आज का विज्ञान उस समय के विज्ञान के सामने कही नही ठहरता। महाभारत को लगभग 5 हजार वर्ष से भी ज्यादा समय बीत चुका है और रामायण काल को तो उससे कही ज्यादा लेकिन किसी भी देश के पास उतने खतरनाक हथियार नही है जितने उस समय के योद्धाओं के पास थे। चाहे फिर विश्व की महाशक्ति अमेरिका,रूस, ईरान,या फिर चीन ही क्यों ना हो। अगर दुनिया के सारे बड़े वैज्ञानिको की परमाणु खोज और सारे देशो के हथियारो को भी इकट्ठा कर लिया जाए तो भी वे अकेले भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के तरकश मे मौजूद अस्त्र-शस्त्रो की बराबरी नही कर सकते। चाहे दुनियाभर के वैज्ञानिक और विज्ञान कितनी भी तरक्की क्यो ना कर ले लेकिन वे अर्जुन, कर्ण, गुरू द्रोणाचार्य, पितामह भीष्म, भीम,घटोत्कच, रावण, मेघनाथ और लक्ष्मण जैसे सूर-वीरो का सामना नही कर सकते। इसका सीधा सा मतलब है कि दुनिया को खासकर विकसित देशो को हथियारो की होड बन्द कर देनी चाहिए और मानव कल्याण , विश्व कल्याण और विश्व शान्ति की खोज मे लग जाना चाहिए। इसी में सबकी भलाई है। माना की 2020 दुनिया से बहुत कुछ छीनकर ले गया लेकिन दुनिया को इतनी महत्वपूर्ण सीख भी तो दे गया।
मेहनत तय करेगी कि ये आसमान किसका है!