लिव-इन #रिलेशनशिप सामाजिकता और नैतिकता के आधार पर स्वीकार्य नहीं है। इसलिए लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल्स को ना तो कोई सुरक्षा दी जा सकती है और ना ही मान्यता।
माननीय उच्च न्यायालय पंजाब एंड हरियाणा के इस फैसले से समाज में एक सही मैसेज जाएगा क्योंकि यदि लिव-इन में रह रहे लोगों को सामाजिक रुप से मान्यता दी जाने लगी तो गलत समाज का निर्माण होने में देर नही लगेगी और समाज अपने पतन की ओर चला जाएगा। Law of Crimes – Misappropriation of Property & Breach of Trust
याचीगणों ने अपनी याचिका में कहा कि वर्तमान समय में हम दोनों साथ में रहते हैं और हम जल्दी शादी करना चाहते हैं। लेकिन हमें परिवार की तरफ से जान का खतरा है इसलिए हमें सुरक्षा मुहैया कराई जाए। लेकिन जस्टिस एच.एस. मदान ने इसे समाज हित मे अस्वीकार्य करार देते हुए याचिका खारिज कर दी।
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