Site icon Mohit Bhati Advocate

दिल्ली : ओखला में C.R.P.F. नाका डियुटी के दौरान एक नेता की दादागिरी को C.R.P.F. ने ढंग से धोया ।

अच्छा किया,लेकिन सभी लोगों को एक ही लाठी से हाँकना न केवल गलत है बल्कि गैर कानूनी भी।
जम्मू में 2008 में मैने वैष्णो दर्शन यात्रा पर अर्द्धकुंवारी स्थल पर मैंने देखा कि आर्मी के एक सिपाही को उसकी माँ के सामने ही मात्र लाइन तोड़ने की कोशिश की गलती पर 7-8 सीआरपीएफ सिपाहियों ने लाठियों से पीटा, मैंने अपना परिचय देकर उनकी गैर कानूनी और अमानवीय हरकत का विरोध किया था एक अति उग्र दिख रहे सिपाही से तो उसने मुझे भी अकड़ दिखाई मैने उसका सर्विस डिटेल मांगा तो वह वहां से चला गया,वहाँ मौजूद लोगों ने मुझसे ही चुप रहने की रिक्वेस्ट की।

https://youtu.be/RhF31K6eWVk

गलत लोगों से जरूरी सख्ती से पेश आना चाहिए, लेकिन अति नहीं अन्यथा वे आईपीसी सहित कोड ऑफ कंडक्ट के दोषी होकर विभागीय कार्रवाई सहित कोर्ट में आपराधिक कार्रवाई हो सकती है।
लेकिन शरीफ लोगों से सशस्त्र बलों के लोगों को विनम्रता से ही पेश आना चाहिए क्योंकि एक तो ऐसे बलों के कर्मचारी अधिकारी सभी लोग, जनता के सेवक हैं,दूसरे उनका वेतन जनता के टैक्स से ही दिया जाता है।पुलिस को अधिकार और शस्त्र,जनता की सुरक्षा के लिए दिए जाते हैं न कि उसके शोषण या नुकसान करने को।
लेकिन फ़ोर्स के लोगों को अपने कमांड अफसर के आदेशों का पालन अनुशासन तहत करना होता है, परन्तु अनुशासन और गुलामी में फर्क होता है, अनुशासन केवल विधिपूर्ण अर्थात कानूनी आदेशों को मानने को निर्धारित करता है न कि अफसर के गैर कानूनी या मनमाने आदेशों को।

अंतरात्मा-इंटरनल कंसाइंस सबसे श्रेष्ठ मार्गदर्शक गाइड होता है :- एडवोकेट जयदेव सिंह अवाना जी की कलम से

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