आज सुबह मैंने न्यूज़ चैनलों पर व सोशल मीडिया पर एक खबर देखी कि केरल के मल्लापुरम में एक प्रेग्नेंट हथिनी को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बारूद से भरा हुआ अनानास खिला दिया । जोकि उसके पेट में जाकर विस्फोट हो गया और उससे उस हथनी और उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई । यह खबर अंदर तक हिला देने वाली है। जैसे ही मैंने इस खबर को देखा तो मैं सन्न रह गया । आज सुबह से ही न्यूज चैनल और विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यमों से मैं देख रहा हूं कि हमारे देश के बौद्धिक वर्ग इस पर तरह-तरह से अपनी दुखद प्रतिक्रिया दे रहा है । टाटा कंपनी के मालिक श्री रतन टाटा ने भी बहुत दिनों के बाद आज सुबह अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए कहा कि यह एक प्रकार से प्रीमेडीटेटेड मर्डर है । वही केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी जी ने न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह बहुत दुखद घटना है और इसे हत्या बताते हुए कहा कि वह देश का सबसे हिंसा करने वाला जिला है। कुछ दिनों पहले वहां सड़कों पर जहर फेंक दिया गया था । जिसके कारण 300 – 400 पक्षी और कुत्ते मारे गए थे।
वहां की सरकार ने कुछ दिनों पहले जंगली सूअरो को मारने के आदेश दिए थे और अब इस तरह हथनी की हत्या बहुत बड़ा अपराध है । अगर हाथी खत्म हो गए तो बहुत सारे वृक्ष खत्म हो जाएंगे , चीटियां खत्म हो जाएंगी, मेंढक खत्म हो जाएंगे । मेंढक और हाथियों का आपस में विशेष संबंध है। और पक्षी नहीं रहे, तो कुछ फूलो का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा । जिससे मानव प्रजाति खतरे में आ जाएगी। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी जी ने यह भी कहा कि Forest secretary को हट जाना चाहिए और Wild life protection minister को अगर जरा सी भी शर्म है तो रीजाइन दे देना चाहिए । जब न्यूज एंकर ने श्रीमती मेनका गांधी जी से राहुल गांधी जी के बारे में पूछा तो श्रीमती गांधी जी ने जवाब दिया कि उसको कुछ समझ तो आता नहीं है ।
मेरे प्यारे साथियों घटना वास्तव में ही अत्यंत दुखद है और अंतरात्मा तक को हिला देने वाली है। ऐसी हिंसा ऐसा बर्ताव ईश्वर के बनाए गए किसी भी जीव के साथ नहीं होना चाहिए । दोस्तों अब मैं आपको भारत के संविधान के दो महत्वपूर्ण अनुच्छेद के बारे में नीचे जिक्र कर रहा हूं और आप यह सोच रहे होंगे कि इस घटना का कॉन्स्टिट्यूशन से क्या संबंध है, संबंध है साथियों ! और मैं आगे आपको इन दोनों आर्टिकलो को इस घटना से रिलेट करके दिखाऊंगा।
Article 14 Equality before Law :- The state shall not deny to any person Equality before the law or the equal protection of the laws within territory of India.
Article 15 :- Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex and place of birth .
संविधान का अनुच्छेद 14 यह कहता है की कानून के सामने सभी बराबर हैं। सभी को एक नजर से देखा जाएगा ।
अनुच्छेद 15 यह कहता है कि धर्म , जाति , लिंग और जन्मस्थान के नाम पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया जाएगा ।
अब आप यह कहेंगे की यह अनुच्छेद तो मनुष्य के लिए बनाए गए हैं और मनुष्य पर ही लागू होते हैं। मैं आपको यहां बताना चाहूंगा कि मनुष्य ने अपनी सुरक्षा के लिए तो विभिन्न कानूनों की स्थापना कर ली। लेकिन इन जीवो का क्या । मैं मानता हूं कि यह कानून मनुष्य के अलावा अन्य जीवों के लिए नहीं है लेकिन अब साथियों इसमें सोचने वाली बात यह है कि क्या अन्य जीवो को स्वतंत्रता से रहने का हक नहीं है और यदि है तो क्या वे स्वतंत्रता से जी पा रहे। दोस्तों मनुष्य आपस में ही नहीं अन्य जीवो में भी भेदभाव करता है ।
ईद की खुशी में जब लाखों निर्दोष जीवो की हत्या कर दी जाती है।उनके बारे में आपका क्या विचार ?
आज जो बुद्धिजीवी वर्ग एक हथिनी की हत्या पर अपने- अपने दुखद विचार, प्रतिक्रिया प्रकट कर रहा है । और वही दूसरी तरफ देश का बिकाऊ और गद्दार मीडिया इस खबर को चटखारे लेकर सुबह से ही चला रहा है । बडे-बडे बुध्दिजीवियों को अपने चैनलो पर डिबेट के नाम पर लडवाकर खूब TRP बटोरी जा रही है ।
ये सारे लोग तब कहां चले जाते है । जब एक समुदाय विशेष द्वारा अपने त्यौहार को मनाने की खुशी के नाम पर लाखों निर्दोष जीवो की हत्या कर दी जाती है । क्या उनके अंदर वही जीव नहीं है जो हमारे अंदर है ? क्या उनके अंदर वह आत्मा नहीं है जो हथिनी के अन्दर थी ? क्या उनको परमात्मा ने नहीं बनाया ? मैं मानता हूं कि संविधान का अनुच्छेद 15 अन्य जीवों पर लागू नहीं होता, लेकिन क्या यह भेदभाव नहीं है कि जब किसी मुर्गे या बकरे की बलि चढ़ा दी जाती है, तब खुशियां मनाई जाती हैं और उसे बड़े चाव से खाया जाता है और जब एक हथिनी की हत्या कर दी जाती है । तब देश के बुद्धिजीवी वर्ग सहित मीडिया वाले भी उस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं और बेहद दुख प्रकट करते हैं । ऐसा क्यों ? इसीलिए की एक मुर्गी -मुर्गा आकार में छोटे होते है और हाथी इतनी बड़ी ! लेकिन मनुष्य कितनी बड़ी भूल कर रहा है । शरीर छोटा हो या बड़ा हो उसमें जीव और आत्मा एक जैसी रहती है और दर्द भी बराबर होता है । लेकिन इस मुद्दे पर बोलने की हिम्मत किसी की भी नहीं है । चाहे वह कितना भी बड़ा नेता हो या सेलिब्रिटी हो या न्यूज़ चैनल हो क्योंकि यह धर्म से जुड़ा हुआ मुद्दा है । हालांकि ऐसा नही है कि जीवो को मारकर खाना सिर्फ एक समुदाय विशेष का ही काम है । आज बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जो कि अपने आपको कट्टर हिन्दू और गौ माता का रक्षक कहते है, उनमे से बहुत से लोग भी इसमे शामिल है । जिनके बगल में राम और मुंह में छुरी रहती है । वैसे तो संविधान ने सभी को अपनी स्वतन्त्रता और आजादी का अधिकार दिया । हर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को स्वीकार करें , कैसा भी भोजन करें । “शाकाहारी या मांसाहारी” यह उसका व्यक्तिगत मामला है । लेकिन जब कोई व्यक्ति राजनीतिक लाभ या आर्थिक लाभ उठाने के लिए जनता के सामने तो कुछ और ढोंग रचता है और अंदर खाने उसका दूसरा रूप होता है । तब यह मामला व्यक्तिगत नहीं रह जाता । मुझे यहां पर जिक्र तो नहीं करना चाहिए । लेकिन फिर भी अब बात जुबान पर आ गई है तो लिख ही देता हूं । देश के पूर्व प्रधानमंत्री ( भारत रत्न ) स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की ऑटो बायोग्राफी ” हार नहीं मानूंगा ” में मैंने एक जगह पढ़ा था । जब वह विदेशी दौरे पर बाहर गए हुए थे और खाने के समय उनके सहयोगी ने उनको बताया था कि साहब यह गाय का मीट है । तब उन्होंने तपाक से जवाब दिया था , कोई बात नहीं यह विदेशी गाय है ।
” जागरूक बनो, सुरक्षित रहो “