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राजस्थान उच्च न्यायालय ने कोविड -19 के शिकार निजी डॉक्टरों के लिए 50 लाख की अनुग्रह राशि मांगने वाली याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया

माननीय उच्च न्यायालय राजस्थान जयपुर पीठ, जयपुर
सिविल रिट पिटिशन संख्या.___2021

श्रीमती उर्मिला      बनाम     राजस्थान सरकार

एडवोकेट सुनील समदारिया द्वारा प्रार्थिनी/उर्मिला की तरफ से एक याचिका माननीय उच्च न्यायालय राजस्थान के समक्ष नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत मुआवजा हेतु दाखिल की गई।


हत्या के केस में वांछित अर्जुन अवॉर्डी और पदम श्री से सम्मानित पहलवान सुशील कुमार की अग्रिम जमानत याचिका हुई खारिज

Rajasthan High Court 

आजकल के बच्चों की जिस तरीके से परवरिश हो रही है वह काफी चिंताजनक है।

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने कोविड-19 के शिकार हुए प्राइवेट डॉक्टरों के लिए 50 लाख की अनुग्रह राशि मांगने वाली याचिका पर राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका होम्योपैथी के डॉक्टर स्वर्गीय श्री कमल कांत की पत्नी श्रीमती उर्मिला द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष पेश की गई। प्रार्थिनी के अनुसार उसके पति होम्योपैथी के डॉक्टर थे जिनकी मृत्यु कोरोनावायरस के संक्रमण से पिछले साल हो गई। उनके पति द्वारा लाॅकडाऊन के दौरान भी राजस्थान सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अपना क्लीनिक चालू रखा और मरीजों का इलाज करते रहे। कोविड-19 महामारी के बावजूद भी वे अपने मरीजों की सेवा करते रहें जिसके चलते वे कोरोनावायरस से संक्रमित हो गए और अगस्त 2020 में उनकी मृत्यु हो गई। प्रार्थिनी के पति की मृत्यु हो जाने की वजह से वह और उसका इकलौता बेटा अत्यंत तंगहाली की स्थिति में है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रार्थिनी राजस्थान सरकार से मुआवज़े के रूप में ” Ex-gratia payment ” पाने की हकदार है।

 गौरतलब है कि राजस्थान सरकार द्वारा 11 अप्रैल 2020 को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि संविदा कर्मचारी ( सैनिटाइजेशन का कार्य कर रहे कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मचारी, होमगार्ड, आशा कर्मचारी और आंगनवाड़ी कर्मचारी आदी ) जिनकी मृत्यु कोविड-19 की वजह से अपनी ड्यूटी करते समय हो गई उनके परिवार जनों को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत मुआवजा दिया जाएगा। इसके बाद राजस्थान सरकार ने 25 मार्च 2021 को अपने इसी आदेश का विस्तार करते हुए राशन डीलर और मान्यता प्राप्त जर्नलिस्ट को भी इसमें शामिल कर लिया। प्रार्थनी का कहना है कि उसके पति होम्योपैथी के डॉक्टर थे जोकि बोर्ड ऑफ होम्योपैथिक सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन दिल्ली के अंतर्गत (रजिस्ट्रेशन नंबर 1341 दिनांक 13 अक्टूबर 1978) रजिस्टर्ड थे। प्रार्थिनी ने अपनी याचिका के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय से सभी प्राइवेट डॉक्टर चाहे वे एलोपैथी, होम्योपैथी या फिर आयुर्वेद के हो को भी इस आदेश का लाभ दिलाए जाने की मांग की है, जिसमें एकल पीठ के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए दिनांक 7 जुलाई 2021 वास्ते सुनवाई  नियत की है।

Plea In Supreme Court Seeks SIT Probe Into Alleged Killings Of BJP Workers By TMC In Post-Poll Violence In West Bengal @MamataOfficial,@AITCofficial,@BJP4India,@royradhika7 https://t.co/yzdngbi6kz

— Live Law (@LiveLawIndia) May 19, 2021

प्रार्थिनी का कहना है कि राजस्थान सरकार द्वारा Ex-gratia payment से प्राइवेट डॉक्टर्स और उनके परिवार को अलग रखना

अनुचित, घोर तर्कहीन और उनके प्रति भेदभावपूर्ण है जोकि आर्टिकल 14 और आर्टिकल 21 जैसे भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

कोविड-19 से पीड़ित परिवारों को मिले Ex Gratia Monetary Compensation

Section 12 of National Disaster Management Act 2005

Guidelines for minimum standards of relief – The nation authority shall recommend guidelines for the minimum standards of relief to be provided to persons affected by disaster which shall include –

1- The minimum requirements to be provided in the relief camps in relation to shelter, food, drinking water, medical cover and sanitation.

2- The special provisions to be made for widows and orphans.

3- Ex gratia assistance on account of loss of life as also assistance on account of damage to houses and for restoration of means of livelihood.

4- such other relief as may be necessary. 

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