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आयुष मंत्रालय ने बेहतर स्वास्थ्य और इम्यूनिटी के लिए कुछ दिशानिर्देश दिए हैं।

आयुष मंत्रालय ने बेहतर स्वास्थ्य और इम्यूनिटी के लिए कुछ दिशानिर्देश दिए हैं। ये ऐसे उपाय हैं, जो आसानी से किए जा सकते हैं। कई तो ऐसी बातें हैं, जो मैं वर्षों से कर रहा हूं, जैसे सालभर सिर्फ गर्म पानी पीना। आप इन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, साथ ही दूसरों के साथ भी साझा करें। आज विश्व भर में कोरोनावायरस एक बहुत बड़ी महामारी के रूप में सबके सामने आया है। ऐसी महामारी 90 परसेंट जनसंख्या ने अपने जीवन में कभी नहीं देखी होगी । क्योंकि ऐसी महामारी सौ – डेढ़ सौ साल में एक बार आती है।  लेकिन कुछ – कुछ अंतराल के बीच में भी  दुनिया ने कई खतरनाक वायरसों का सामना किया है। जैसे कि 2009 में स्वाइन फ्लू नाम  के खतरनाक वायरस की वजह से दुनिया भर में लाखों जाने चली गई  थी और देश की आजादी के समय हेजा की बीमारी बहुत तेजी से हमारे देश में फैली थी । ना जाने ऐसी कितनी बीमारी आई और चली गई लेकिन यह बीमारी है जो जाने का नाम ही नहीं ले रही है डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस कोविड-19 को महामारी ( Pandemic ) घोषित कर दिया था। जिसको पहले चाइना सिर्फ क्षेत्रीय बीमारी ( Epidemic ) मानकर चल रहा था । Epidemic  बीमारी वह बीमारी होती है जोकि एक बड़े भूभाग पर बहुत ही तेजी से फैलती है यह एक देश में या एक से ज्यादा देशों में भी खेल सकती है लेकिन जब कोई इसी तरह की बीमारी वायरस के द्वारा बहुत तेजी से पूरी दुनिया में फैलने लगे और लाखों लोगों की जानें ले ले  तब ऐसी बीमारी को महामारी घोषित कर दिया जाता है यह जिम्मेदारी डब्ल्यूएचओ विश्व स्वास्थ्य संगठन की होती है डब्ल्यूएचओ कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया है । दोस्तो अगर आप डिक्शनरी में Epidemic और Pandemic का हिंदी में अर्थ देखोगे तो दोनों का मतलब महामारी ही है लेकिन Epidemic का मतलब महामारी से है वही Pandemic का मतलब सर्वव्यापक महामारी से है । Pandemic इसे आप विश्वव्यापी रोग भी कह सकते है। कुछ विश्वव्यापी रोग जैसे प्लेग,हैजा HIV एड्स, फ्लू, स्वाइन फ्लू और अब कोरोनावायरस जैसे रोगो ने ना जाने कितने मासूमों – निर्दोषों की जान ले ली। यह कुछ ऐसे वायरस होते हैं जो कि पहले तो किसी क्षेत्र विशेष एरिया में फैलते हैं और फिर धीरे-धीरे विश्व भर में फैल जाते हैं ।जिसके बाद इन्हें WHO के द्वारा महामारी घोषित कर दिया जाता है । जिससे कि पूरा विश्व एकजुट होकर इस तरह की बीमारियों से लड़ सकें और हर बार हम ऐसी बीमारियों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं लेकिन कोविड-19 का अभी तक कोई भी इलाज नहीं उपलब्ध हो पाया है। दुनिया के बड़े-बड़े देश अपनी-अपनी लैब में करोड़ों रुपए कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में खर्च कर चुके हैं। बड़े-बड़े वैज्ञानिक इसकी रिसर्च में लगे हुए हैं लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कामयाबी हासिल नहीं हो पाई है और लाखों जाने जा चुकी हैं। अब तो यह है और भी तेजी से फैल रही है । मानो अपना विकराल रूप धर लिया हो। इस बार मौत अपना चेहरा बदल कर आई है। अमेरिका कई बार इसकी वैक्सीन बनाने की घोषणा कर चुका है लेकिन अभी तक उस वैक्सीन को दुनिया के सामने नही ला पाया है ।
Covid-19

Buddhism

Meditation with Nature


 एक बार तो अमेरिकन राष्ट्रति डोनाल्ड ट्रम्प यहाँ तक कह चुके है कि चीन उनकी लैब में से कोविद-19 की वैक्सीन के फार्मूले को चोरी कर सकता है। इस वायरस में हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। इस वायरस से जहां यूरोपीय देशों में बहुत अधिक संख्या में जाने चली गई। वही भारत जैसे देश में मृत्यु दर कम और ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा है। इससे पहली बार यह बात स्पष्ट हो गई है कि हमारा इम्यूनिटी सिस्टम वहां के लोगो से ज्यादा बेहतर है। अगर बात विकास की जाए तो हम विकसित देशों से लगभग 100 साल पीछे हैं लेकिन इस महामारी के समय हमें इसका बहुत फायदा मिल रहा है क्योंकि जहां तक मैंने रिसर्च की है विकास से मतलब बड़े-बड़े जंगलों को काटकर बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बना देना। किसान की खेती की जमीन का अधिग्रहण कर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को कारखाने बनाने के लिए दे देना और तमाम आधुनिक सुविधाएं खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स मशीनों  इस्तेमाल व्यापक स्तर पर करना जिससे कि प्रकृति को बहुत बड़े स्तर तक नुकसान पहुंचाया जाता है। यही असली विकास है और यही विकास की परिभाषा है और भारत भी धीरे धीरे इसी होड़ में लगा हुआ है। इसलिए भारत को अभी विकसित नहीं केवल विकासशील देश कहा जाता है। जहां तक मेरा ज्ञान है तुमने इसे विकास नहीं विनाश मानता हूं । एक कहावत है ” विनाश काले विपरीत बुद्धि ” इसका मतलब है कि जब विनाश चिपकाले बादल मनुष्य केसर पर मंडराते हैं तो उसकी बुद्धि घास चरने चली जाती है और उसका विनाश शुरू हो जाता है ।यूरोपीय देशों में भी ऐसा ही हुआ।  जिन्होंने विकास के नाम पर प्रकृति का दोहन शुरू कर दिया और अब प्रकृति मनुष्य से बदला ले रही है । लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान, अमेरिका- ब्रिटेन, रूस, चीन, जापान जैसे देशो से 100 साल पीछे हैं लेकिन मेरा मानना है अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, जापान जैसे विकसित देशो से हिंदुस्तान 100 साल आगे है । आज स्थिति यह आ गई है कि दुनिया भर के विकसित देशो के नागरिक हाथ मिलाने की जगह हाथ जोड़कर अभिवादन करना सीख गए हैं। जो संस्कृति हमसे कहीं पीछे छूट गई थी अब वो हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं। योग सीख रहे हैं, हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे हैं, ध्यान धारणा समाधि की बातें कर रहे है। आध्यात्म की तरफ उनका रुझान बढ़ता जा रहा है।

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